Friday, September 27, 2024
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Sonepur Mela: सोनपुर मेला तीन साल बाद होगा गुलजार, जिला प्रशासन ने शुरू की तैयारियां

 

Sonepur Mela 2022 Date ।सोनपुर (सारण),। Bihar News: सोनपुर का विश्‍व प्रसिद्ध मेला (Sonepur Mela News) लगातार अपना स्‍वरूप बदल रहा है। मेले में नई चीजें जुड़ी हैं, तो कई पुरानी चीजें इतिहास बन गई हैं। मेले का क्षेत्र अब काफी सिमट गया है। फिर भी, यह मेला करीब 15 किलोमीटर के दायरे में फैल जाता है। कोरोना महामारी के सामने आने के बाद पिछले दो साल से यह मेला प्रभावित हो गया है। सरकार ने मेले के आयोजन की इजाजत ही नहीं दी थी। अब तीन साल के लंबे अंतराल के बाद यह मेला फिर से लगने वाला है।

छह नवंबर से शुरू हो जाएगा मेला

पिछले हफ्ते सारण डीएम राजेश मीणा की अध्यक्षता में जिला मुख्यालय में मेले की तैयारियों को लेकर संबंधित अधिकारियों की बैठक हो चुकी है। इस वर्ष कार्तिक पूर्णिमा स्नान 8 नवंबर को है। इसके मद्देनजर बैठक में इस वर्ष हरिहर क्षेत्र मेले की सरकारी अवधि 6 नवंबर से 7 दिसंबर तक तय किया गया है। इसके साथ ही मेले की तैयारी में जुट जाने का निर्देश दिया गया है।

नारायणी नदी के घाटों पर दिखेगी तैयारी

इस बीच सोनपुर में नारायणी नदी के स्नान घाटों पर बैरिकेडिंग, नाव-नाविक तथा गोताखोर एवं एसडीआरएफ टीम की तैनाती के अलावा कार्तिक पूर्णिमा स्नान पर उमडऩे वाली श्रद्धालुओं की भीड़ की सुरक्षा, निर्बाध बिजली आपूर्ति, अस्थाई शौचालय, गंगा तथा नारायणी नदी के घाटों पर स्नान करने आयी महिला श्रद्धालुओं के लिए चेंजिंग रूम एवं विधि व्यवस्था संधारण के लिए तैयारियां शुरू कर दी गई है।

तीन एकड़ से अध‍िक भूमि के लिए होगी बंदोबस्‍ती

वहीं सोनपुर एसडीओ सुनील कुमार ने बताया कि पर्यटन विभाग मेला स्थित जिस नखास एरिया का डाक करता है, उसका तीन एकड़ तीन डिसमिल भूमि पर मेला लगाए जाने का प्रस्ताव भेज दिया गया है। उन्होंने बताया कि अगले सप्ताह हरिहर क्षेत्र सोनपुर मेला समिति की बैठक होगी, जिसमें इसकी तैयारियों की समीक्षा की जाएगी।

कलाकार दिखाते हैं अपनी कला

हरिहर क्षेत्र मेला की हृदय स्थली माने जाने वाली नखास एरिया में ही पर्यटन विभाग का मुख्य पंडाल होता है। इस पंडाल के मुख्य कला मंच पर प्रतिदिन सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है। इन कार्यक्रमों में देश के विभिन्न राज्यों की लोक संस्कृति, लोक कला एवं लोक गायन की झांकियां कलाकार प्रस्तुत करते हैं। इसी बीच कला संस्कृति विभाग की ओर से तीन दिनों का हरिहर क्षेत्र महोत्सव आयोजित होता है। इसमें देश के जाने-माने कलाकारों को बुलाया जाता है।

ठंड के कपड़ों की लगती हैं दुकानें

नखास एरिया में हस्तशिल्प के अलावा विभिन्न सरकारी और गैर सरकारी विभागों की प्रदर्शनी लगाई जाती है। इसके अलावा कश्मीरी शाल, ऊनी कंबल, गर्म-ठंडे कपड़े की दुकानों के साथ विभिन्न क्षेत्रों के स्वादिष्ट व्यंजन के होटल आदि लगाए जाते हैं। थियेटरों के लिए चर्चित हो जाने वाले इस मेले में कई नामी-गिरामी कंपनियों के थियेटर भी इसी एरिया में लगते हैं।

चिडिय़ा बाजार से हाथी बाजार तक मुख्य आकर्षण

इधर, चिडिय़ा बाजार रोड में लकड़ी बाजार, लोहा बाजार तथा विभिन्न फल-फूलों की नर्सरी होते हैं। इसके साथ पश्चिम में बैलहट्टा और उत्तर दिशा के बड़े भू-भाग में फैले घोड़ा बाजार का दर्शन होता है। विराट पशु मेले में राजस्थानी, अरबी तथा मुल्तानी सहित विभिन्न नस्लों के घोड़े बिक्री के लिए लाए जाते हैं। यहां से पूरब नारायणी नदी तक के दोनों तरफ हाथी बाजार है, लेकिन अब यह केवल नाम का रह गया है। पशु क्रूरता अधिनियम के तहत हाथियों को बिक्री के लिए लाए जाने पर रोक लगा दिया गया है।

उम्‍दा नस्‍ल की बकरियां लेकर आते हैं व्‍यापारी

परिणाम स्वरूप हाथी बाजार अब लगभग सूना पड़ा रहता है। उधर, मही नदी किनारे लोअर बैलहट्टा में बिक्री के लिए किसान विभिन्न स्थानों से बैल लेकर यहां आते हैं। इसके अतिरिक्त राजस्थान के व्यापारी यहां बड़ी संख्या में उम्दा नस्ल की बकरियां लेकर बिक्री के लिए आते हैं। बकरी बाजार मेले के दो तीन स्थानों पर लगाया जाता है। इस प्रसिद्ध मेले में लगभग छोटी-बड़ी एक हजार दुकानें लगाई जाती है।

तीन दिनों के लिए 15 किलोमीटर में फैल जाता है मेला

यह मेला करीब 5 किलोमीटर की दूरी में चारों तरफ फैला हुआ है। लेकिन कार्तिक पूर्णिमा स्नान से एक दिन पहले और एक दिन बाद तक दस मेले का विस्तार करीब 15 किलोमीटर क्षेत्र में हो जाता है। इन तीन दिनों में यह मेला हाजीपुर शहर के साथ ऐतिहासिक कोनहारा घाट से लेकर सोनपुर और पहलेजा घाट धाम तक क्षेत्र में फैल जाता है। इन तीन दिनों में कम से कम 20 से 25 लाख श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं और पवित्र गंगा-गंडक संगम स्नान के साथ पूजा-अर्चना करते हैं।

कभी हाजीपुर में, अब सोनपुर में लगता है मेला

विश्व विख्यात हरिहर क्षेत्र मेला कब से लग रहा है इसका कोई ज्ञात इतिहास नहीं है। लेकिन यह तथ्य सामने आती है कि स्वाधीनता संग्राम के कई पुराने वीर योद्धा इस मेले से अस्त्र-शस्त्र की खरीदारी करते थे। वहीं यह भी कहा जाता है कि सैंकड़ों वर्ष पहले यह मेला हाजीपुर शहर के आसपास लगा करता था, जिसका विस्तार सोनपुर तक हुआ है और अब यह इसी क्षेत्र में लग रहा है। विदेशी मेहमानों के लिए हरिहर क्षेत्र मेला विशेष आकर्षण का केंद्र होता है और बड़ी संख्या में यहां आते रहे हैं।

Kunal Gupta
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