Teachers Day 2022: बिहार सात युवाओं को तराश कर दिलाया राष्ट्रपति अवार्ड, छपरा के द्रोणाचार्य कहलाते हैं डा. विद्यावाचस्पति त्रिपाठी..
राजीव रंजन, छपरा। अपने प्रयासों से शिक्षक की भूमिका को एक नया आयाम देकर छपरा के द्रोणाचार्य डा. विद्यावाचस्पति त्रिपाठी अपनी मेहनत के दम पर जेपी विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले छात्रों को राष्ट्रपति अवार्ड दिला चुके हैं। अनुदानित कालेज लोक महाविद्यालय हाफिजपुर के राजनीतिक विज्ञान विभाग के व्याख्याता डा. विद्यावाचस्पति त्रिपाठी को वर्ष 2005 में उस समय जेपी विश्वविद्यालय के एनएसएस की कमान दी गई थी जब एनएसएस पदाधिकारी कोई बनना नहीं चाहता था। आर्थिक भ्रष्टाचार के मामले में एनएसएस के एक पदाधिकारी पर कार्रवाई भी हो चुकी थी। वर्षों से यहां शिविर भी नहीं हो रहा था। ऐसे में एनएसएस के क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा शिविर नहीं करने पर यूनिट को बंद करने का भी पत्र आ चुका था। उस परिस्थिति में डा. त्रिपाठी ने एनएसएस के समन्वयक का कार्य स्वीकार करते हुए शून्य से शुरुआत की। उन्होंने अपनी मेहनत के दम पर छात्रों को राष्ट्रीय सेवा योजना से जोड़ा ही नहीं बल्कि उन्हें राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहुंचाने में भी बड़ी भूमिका निभाई। इसके कारण वर्तमान में जयप्रकाश विश्वविद्यालय की पहचान देश के शैक्षणिक जगत में राष्ट्रीय सेवा योजना से बढ़ी है।
सात छात्र-छात्राओं को दिलाया एनएसएस अवार्ड
जेपीयू में सबसे पहले वर्ष 2008 में राजेन्द्र कालेज के छात्र जहांगीर को एनएसएस के राष्ट्रपति पुरस्कार से नवाजा गया था। उसके पांच साल बाद 2013 में राजेन्द्र कालेज के ही छात्र प्रवीण कुमार, 2014 में राजेन्द्र कालेज की छात्रा रितु राज, 2015 में जगदम कालेज के छात्र मंटू कुमार यादव ने अवार्ड हासिल कर विवि को राष्ट्रीय मानचित्र पर ला दिया। 2016 में जेपीएम की छात्रा प्रीति कुमारी, 2018 में जगदम कालेज की छात्रा कुमारी अनीषा एवं 2020 में जय प्रकाश महिला कालेज की छात्रा ममता कुमारी ने कामयाबी की इबारत लिख डाली है।
विश्वविद्यालय के चार छात्रों को अंतरराष्ट्रीय मंच पर दिलाई पहचान
उन्होंने सिर्फ तीन साल के ही प्रयास में पहली बार राजेंद्र कालेज के छात्र जहांगीर को 2008 में राष्ट्रीय सेवा योजना राष्ट्रपति पुरस्कार दिलवा दिया। उसके बाद राष्ट्रपति अवार्ड मिलने का सिलसिला ही शुरू हो गया। डा. विद्यावाचस्पति त्रिपाठी 2017 तक करीब 12 सालों तक राष्ट्रीय राष्ट्रीय सेवा योजना के समन्वयक रहे। उन्होंने अपने कार्यकाल में छात्रों को नेशनल यूथ एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत मालदीप, चीन एवं श्रीलंका का भी सफर तय कराया। इतना ही नहीं उन्होंने राजेंद्र कालेज के छात्र विश्वरंजन को 2009 में राष्ट्रीय युवा पुरस्कार भी दिलवाया। इसके साथ ही 2009 में मोहम्मद जहांगीर मालदीप, 2011 में विश्व रंजन चीन 2013 में, डीएवी कालेज सिवान के अरविंद कुमार गिरी चीन एवं 2013 में जय प्रकाश महिला कालेज की छात्रा प्रीति कुमारी श्रीलंका की यात्रा की। डा. त्रिपाठी कहते हैं कि वे अपने कार्यकाल में छात्र- छात्राओं के साथ खुद स्वच्छता अभियान, एड्स जागरूकता स्वच्छता अभियान, रक्तदान, कन्या भ्रूण हत्या, महिला स्वास्थ्य, महिला सशक्तिकरण आदि कार्यक्रमों में भाग लेते थे ताकि छात्र पूरी ईमानदारी के साथ समाज सेवा कर सकें।
छात्र- छात्राओं में कार्य के प्रति लगन देख करते हैं प्रमोट
डाक्टर त्रिपाठी ने बताया कि उनके पास एनएसएस के बहुत से कैडेट हैं। उनमें से जिन बच्चों में कार्य के प्रति दिलचस्पी और लगन दिखती है उन्हें वह प्रमोट करते हैं। ऐसे ही सात छात्र-छात्राओं को समय-समय पर प्रमोट कर राष्ट्रपति पुरस्कार तक पहुंचाया गया है। गुरु शिष्य की खूबियों के संदर्भ में उन्होंने सीधे शब्दों में कहा कि अनुशासन और समय की महत्ता का बहुत अधिक महत्व है। अनुशासित गुरु ही शिष्य को बेहतर अनुशासन का पाठ पढ़ा सकता है, इसके लिए उसे खुद पूर्ण रूप से अनुशासित होना चाहिए। वह समय के भी बहुत पाबंद रहे हैं और बच्चों को भी इसके लिए ट्रेनिंग दिए है। यही कारण है कि सेवानिवृत्ति के बाद भी एनएसएस के बच्चे उनसे संपर्क रखते हैं और उनके दिखाए रास्ते पर चलकर राष्ट्रपति पुरस्कार तक पहुंच रहे हैं।