Saturday, October 5, 2024
Patna

बिहार :सिंचाई नहीं होने से सूख रही धान की फसलें, डीजल सब्सिडी के लिये 15 हजार से ज्यादा आवेदन..

सारण जिले में सूखे के कहर के बीच सरकार के निर्देश पर किसानों को डीजल सब्सिडी देने का काम जोरों पर चल रहा है. परंतु, सिंचाई के सरकारी साधनों के नकारा व निजी पंपिंग सेट की कमी के कारण धान एवं मक्का की फसल सूख रही है. सरकार के निर्देश के आलोक में 29 जुलाई से अबतक सारण में 15 हजार 52 किसानों ने डीजल सब्सिडी के लिये आवेदन दिया है. जिनमें से अबतक 4668 किसानों के खाते में डीजल सब्सिडी मद में 37 लाख 66 हजार 556 रुपये भेजे जा चुके है.

 

 

अब तक 5727 आवेदन स्वीकृत

जिला कृषि पदाधिकारी के अनुसार किसानों द्वारा ऑनलाइन दिये गये आवेदन में से कृषि समन्वयकों द्वारा अब तक 5727 आवेदन को स्वीकृत किया गया है. जबकि 3621 को अस्वीकृत किया गया है. वहीं कृषि समन्वयकों के पास 5704 डीजल सब्सिडी के आवेदन लंबित है. वहीं जिला कृषि पदाधिकारी द्वारा 4757 किसानों को डीजल सब्सिडी के लिये आवेदन स्वीकृत कर दिया गया है. वहीं 175 आवेदन जहां रिजेक्ट किये गये है. वहीं 795 आवेदन लंबित है.

 

डीजल सब्सिडी के लिये प्रावधान

जिला कृषि पदाधिकारी द्वारा जिला जनसंपर्क पदाधिकारी के माध्यम से जारी सूचना के अनुसार डीजल सब्सिडी मद में डीजल पंपिंग सेट से सिंचाई करने वाले किसानों को 75 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से प्रति एकड़ 750 रुपये अनुदान दिया जाना है. वहीं धान का बिचड़ा एवं जुट की फसल के अधिकतम दो सिंचाई के लिये 1500 रुपये प्रति एकड़ देना है.

 

खरीफ फसल में धान, मक्का या अन्य खरीफ फसलों के अंतर्गत दलहनी, तेलहनी, मौसमी सब्जी, औषधीय एवं सुगंधीत पौधे के लिये अधिकतम तीन सिंचाई के लिये 2250 रुपये प्रति एकड़ देने का प्रावधान किया गया है. वहीं एक किसान को अधिकतम 8 एकड़ के लिये अनुदान देय होगा. डीजल क्रय कर हर हाल में सिंचाई के लिये उपयोग करने की जांच कृषि समन्वयक द्वारा जांच करने के बाद डिजिटल पावती रशीद जिसमें किसान का 13 अंक का पंजीकरण संख्या अंतिम 10 अंक दर्ज हो वहीं मान्य होगा. डीजल सब्सिडी 30 अक्तूबर तक किये जाने वाले डीजल क्रय पर दिया जाना है.

सूखाग्रस्त सारण के किसानों के चेहरे पीले पड़े

सारण में औसत अनुमान से 57 फीसदी कम बारिश जून से अगस्त तक होने तथा अगस्त माह में 64 फीसदी कम बारिश होने का सीधा असर किसानों के धान एवं मक्का के फसलों पर पड़ा है. उपर के खेतों को कौन कहें गड़खा, छपरा सदर, नगरा, रिविलगंज, मांझी आदि तमाम प्रखंडों में धान की फसलें पीला होने के साथ-साथ सूख रही है. वहीं धान के खेतों में भादों के महीने में जहां पानी लगा रहना चाहिए. वहां मिट्टी उजली होने के साथ-साथ तेज हवाओं के समय धूल उड़ रही है. चंवर में पानी नहीं होने के कारण धान की फसल कुछ मुरझा जा रही है तो अधिकतर सूख कर समाप्त हो चुकी है.”

Kunal Gupta
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