सीतामढ़ी में अनोखा मामला, वर्षा ने दगा दिया तो ग्रामीणों ने मोड़ दी नदी की धारा..
परिहार/सीतामढ़ी {संजय सिंह}। वर्षा नहीं होने से सूखे की आशंका से चिंतित परिहार प्रखंड की बबूरवन पंचायत के ग्रामीणों ने श्रमदान से मरहा नदी की धारा मोड़ दी है। नाली का निर्माण किया है। इससे करीब एक हजार एकड़ खेत को सिंचाई के लिए पानी मिलने लगा है। मरहा नदी नेपाल से निकलकर परिहार में सीतामढ़ी में प्रवेश करती है। पुपरी में अधवारा में मिल जाती है। सूखे को देख मुखिया मीनू यादव ने इसकी धारा मोड़ने की पहल की। ग्रामीण श्रमदान के लिए आगे आए। चार दिन में ग्रामीणों और जेसीबी मशीन की मदद से 200 फीट लंबा व 25 फीट चौड़ा बांध नदी की धारा मोड़ने के लिए बनाया गया। इसके पानी को खेत तक पहुंचाने के लिए करीब 75 फीट लंबी और पांच फीट चौड़ी नाली का भी निर्माण किया गया। दो नालियां पहले से थीं। इस तरह तीन नालियों से किसानों को सिंचाई के लिए पानी मिलने लगा है। जेसीबी पर किराये के रूप में करीब 35 हजार रुपये खर्च हुए, जिसे मुखिया ने अपने पास से दिया।
ग्रामीण धनंजय कुमार और दिनेश राय का कहना है कि वर्षा नहीं होने से खेत में धान की फसल सूख रही थी। पंचायत में लगा सरकारी नलकूप उपयोगी नहीं है। इसे लेकर पंचायत स्तर पर बैठक हुई तो कुछ लोगों ने नदी की धारा मोड़ने का सुझाव दिया। ग्रामीणों की सहमति बनी। करीब दो दर्जन से अधिक लोगों ने श्रमदान किया। अब तक करीब 350 किसानों को लाभ पहुंच चुका है। परिहार बीडीओ संजीव कुमार का कहना है कि ग्रामीणों एवं मुखिया ने सराहनीय कार्य किया है। उनके जज्बे को सलाम है। मनरेगा से ग्रामीणों को सहयोग दिलाने की कोशिश की जाएगी।
लखनदेई का पानी खेत तक पहुंचाया
सोनबरसा । सोनबरसा प्रखंड की भुतही पंचायत में भी ग्रामीणों ने सहयोग से लखनदेई नदी का पानी खेत तक पहुंचाने का काम किया है। यहां नदी की धारा मोड़ने के लिए चिरैया पुल के समीप तीन दिन में बांध बना दिया गया। सूखे को देख बीते गुरुवार को मुखिया अखिलेश कुमार के नेतृत्व में किसानों की बैठक हुई, जिसमें लखनदेई पर बांध बनाने का निर्णय हुआ। इसे बनाने में लगभग एक लाख रुपये खर्च का अनुमान लगाया गया। इसका इंतजाम चंदे से किया गया। शुक्रवार से बांध निर्माण कार्य शुरू हुआ।
जेसीबी व पांच ट्रैक्टर के अलावा 25 मजदूरों को लगाया गया। 50 ग्रामीणों ने श्रमदान किया। रविवार को करीब 80 फीट लंबा और 17 फीट चौड़ा बांध बनकर तैयार हो गया। इसका लाभ मटियार कला, चिरैया, भुतही, फुलकाहा, फुलपरासी, महादेव पट्टी व उदरकट सहित अन्य पंचायतों के एक दर्जन से अधिक गांवों के किसानों को मिलेगा। पूर्व मुखिया मनोज सिंह का कहना है कि वर्ष 2019 में इसी तरह का प्रयोग किया गया था। इस बार भी सूखे से किसान त्रस्त हैं। खेतों में दरार पड़ गई है। दो नलकूप में से एक ट्रांसफार्मर जलने से उपयोग में नहीं है। ऐसे में ग्रामीणों का यह सामूहिक प्रयास खेतों में हरियाली लाएगा। परिहार की विधायक गायत्री देवी का कहना है कि मुखिया व ग्रामीणों का काम प्रशंसनीय है।