समस्तीपुर रेलमंडल के वरिष्ठ मंडल परिचालन प्रबंधक रूपेश कुमार की CBI द्वारा गिरफ्तारी,डीसीएम को मिला परिचालन विभाग का जिम्मा..
समस्तीपुर । समस्तीपुर रेलमंडल के वरिष्ठ मंडल परिचालन प्रबंधक रूपेश कुमार की सीबीआई द्वारा गिरफ्तारी से मालगाड़ी के फ्रेट रेट में घपले की बात स्पष्ट हो गई है। विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार गिरफ्तारी के बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया है। मंडल रेल प्रबंधक आलोक अग्रवाल ने मंडल वाणिज्य प्रबंधक रोशन कुमार को मंडल परिचालन प्रबंधक का प्रभार दिया गया है। यह निर्णय पूर्व मध्य रेल के महाप्रबंधक के आदेश पर लिया गया है।
कैसे होता है खेल
दरअसल कोई भी कंपनी या निजी व्यक्ति यदि मालगाड़ी संबंधित ट्रैक पर लगाता है तो उसे उस अवधि के लिए राशि देनी होती है। यदि निर्धारित समय के बाद भी गाड़ी खड़ी रहती है तो उसे जुर्माने की रकम देनी पड़ती है। वह लाखों में आता है। इसी सरकारी राजस्व को पचाने के कारण रिश्वत की रकम अदा की जाती थी। सीनियर डीओएम की गिरफ्तारी के बाद यह बात सामने आया है कि निजी कंपनी के संचालक रिश्वत की एकमुश्त रकम हाजीपुर में देते थे। वहां से ही पैकेट बंद रकम संबंधित अधिकारी तक पहुंच जाती थी।
पहले दो पहले पाओ के आधार पर आवंटित होता है वैगन
समस्तीपुर रेल मंडल में रैक प्वाइंट पर वैगन उपलब्ध कराने में भी प्राथमिकता दी जाती है। इस खेल में भी अधिकारी पहले दो पहले पाओ के आधार पर वैगन उपलब्ध कराते हैं। इसका मतलब है कि नियम को ताक पर रखकर बाद में भी रजिस्ट्रेशन कराने वाले व्यापारी से लेनदेन कर उसे पहले वैगन उपलब्ध कराया जाता है। इससे व्यापारी को यह फायदा होता है कि उनका माल पहले बाजार में पहुंच जाता है। पूर्व मध्य रेलवे के मुख्य माल परिवहन प्रबंधक, समस्तीपुर और सोनपुर मंडल के वरिष्ठ मंडल परिचालन प्रबंधक समेत पांच लोगों की सीबीआई द्वारा गिरफ्तारी के बाद पूरे मामले का खुलासा हुआ है। रेलवे के आधिकारिक सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार रैक प्वाइंट से माल भेजने के लिए प्राथमिकता रजिस्टर में वैगन की डिमांड की जाती है। इसके लिए व्यापारी को निर्धारित शुल्क देकर निबंधन कराना पडता है, लेकिन, मुख्य माल परिवहन प्रबंधक मिलीभगत कर रैक प्वाइंट पर बाद में निबंधन कराने वाले व्यापारी को पहले मालगाड़ी का वैगन उपलब्ध कराया जाता है। माल स्टैकिग करने में भी होती है गड़बड़ी
आधिकारिक सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार प्लेटफार्म पर माल स्टैकिग करने में भी खेल होता है। व्यापारी को विशेष सुविधा के तहत निर्धारित समय से पहले से ही सामग्री का स्टाक प्लेटफार्म पर कर लिया जाता है। वैगन को भी प्लेटफार्म पर लगा दिया जाता है। व्यापारी ट्रक से माल लेकर रैक प्वाइंट पर पहुंचने के साथ ही सीधे लोडिग शुरू कर देता है। व्यापारी को प्लेटफार्म पर माल अनलोडिग नहीं करने से सुविधा मिलने के साथ ही विलंब शुल्क भी बच जाता है। एओएम के बदले अब जोनल अधिकारी करते हैं बैमरेज जांच
रेलवे सूत्रों ने बताया कि पूर्व में एओएम अपने क्षेत्र के रैक प्वाइंट पर माल के स्टैंकिग और बैमरेज चार्ज की जांच करते थे। बाद में पूर्व मध्य रेल मुख्यालय ने इसे अपने अधीन ले लिया। वरिष्ठ मंडल परिचालन प्रबंधक भी अपने विश्वस्त कर्मी से जांच कराते हैं। स्टैंकिग और बैमरेज की जानकारी सीधे मुख्यालय के अधिकारी को दी जाती है। मालगाड़ी से जब कोई माल रैक प्वाइंट पर आता है तो उक्त कर्मी इसकी जांच करते हैं। वैगन से माल उतारने में देरी होने पर व्यापारी से मिलकर इस विलंब शुल्क से बचा लेते हैं।
जुर्माना की राशि प्रत्येक डिब्बे प्रति घंटे के हिसाब से लगती है
एक मालगाड़ी में 42 या इससे अधिक डिब्बे होते हैं, लेकिन जुर्माना राशि प्रत्येक डिब्बे में प्रति घंटे के हिसाब से लगती है। प्रस्ताव के अनुसार 42 डिब्बों की मालगाड़ी यदि 48 घंटे से अधिक लेट हो जाती हे, तो उस पर 56 हजार 700 रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है।