बिहार में खनिजों का खजाना, खनन में फंसा है नियमावली का पेंच, जानें कहां मिला है खनिज..
बिहार में पहली बार सोना, पोटाश, निकेल और क्रोमियम सहित अन्य खनिजों का खनन शुरू करने के लिए नियमावली का पेंच फंसा है. हालांकि लघु खनिजों के खनन की नियमावली जरूर बनी थी. ऐसे में बड़े खनिजों का खनन शुरू करने के लिए नियमावली बनाने की प्रक्रिया चल रही है.
सरकार की आय का महत्वपूर्ण स्रोत
खनिजों का खनन सरकार की आय का महत्वपूर्ण स्रोत है. साथ ही आम लोगों के रोजी-रोजगार और राज्य के आर्थिक विकास में भी इसका महत्वपूर्ण योगदान होगा. ऐसे में नियमावली बनने के बाद खनन एजेंसी का चयन कर खनिजों के खनन की प्रक्रिया नये साल में शुरू होगी.
नियमावली में नीति तय की जायेगी
सूत्रों के अनुसार नियमावली में खनिजों के खनन के तरीके, खनन करने वाली एजेंसी को दी जाने वाली जिम्मेदारी, खनन के पट्ट्रे, समय सीमा और उनसे मिलने वाले राजस्व सहित, ढुलाई से लेकर बिक्री की नीति तय की जायेगी.
राजस्व कई गुना बढ़ने की संभावना
खान एवं भूतत्व विभाग इसकी तैयारी में लगा है और नियमावली को मंत्रिमंडल से मंजूरी मिलने के बाद लागू किया जायेगा. फिलहाल राज्य में लघु खनिजों के खनन से राजस्व वसूली का लक्ष्य करीब 2400 करोड़ रुपये सालाना था. ऐसे में बड़े और बहुमूल्य खनिजों के खनन से राज्य का राजस्व कई गुना बढ़ने की संभावना है.
यहां हैं खनिज
सूत्रों के अनुसार केंद्रीय कोयला मंत्रालय ने राज्य में ग्लूकोनाइट (पोटाश), क्रोमियम, निकेल और प्लैटिनियम ग्रुप ऑफ एलिमेंट, मैग्नेटाइट (आयरन), बॉक्साइट सहित दुर्लभ धातुओं के कुल नौ ब्लॉक व्यावसायिक खनन के लिए आवंटित किये हैं.
गया और औरंगाबाद जिले की सीमा पर मदनपुर प्रखंड के डेंजना और आसपास के इलाकों में करीब आठ वर्ग किमी क्षेत्र में निकेल और क्रोमियम पाया गया है.
रोहतास जिले में करीब 25 वर्ग किमी इलाके में पोटाश पाया गया है. रोहतास जिले का नावाडीह प्रखंड में 10 वर्ग किमी, टीपा प्रखंड में आठ किमी और शाहपुर प्रखंड में सात किमी का इलाका शामिल है.
जमुई के सोना प्रखंड में देश का लगभग 44 प्रतिशत सोना मिल सकता है. साथ ही भागलपुर के पीरपैंती और कहलगांव के नजदीक मौजूद कोयले का ग्रेड जी-12 उपलब्ध है.