बिहार के इस राजा की अद्भुत-अनोखी 122 साल पुरानी पेंटिंग में फूंकी गई जान,खर्च हुए 6 लाख..
सुशील झा, सत्तरकटैया (सहरसा): राजघरानों में पुरानी कलाकृतियों को सहेजने की परंपरा रही है। इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए पंचगछिया राजघराने के दो सगे भाइयों ने अपने पुरखों की पेंटिंग को पुन: जीवंत करने के लिए लगभग छह लाख की राशि खर्च की है। पंचगछिया राजघराने के राजा राय बहादुर प्रियव्रत नारायण सिंह की लगभग 122 साल पुरानी अद्भुत-अनोखी पेंटिंग उनके पंचगछिया स्थित पैतृक घर में खराब हो रही थी। प्रीतेश कुमार सिंह सोनू एवं पंकज सिंह की नजर इस पर पड़ी। पेंटिंग का फ्रेम खराब हो चुका था। चमक खत्म हो गई थी। लगभग आठ फीट ऊंची पेंटिंग अपनी पहचान खो रही थी
लखनऊ के कलाकृति कंजर्वेशन एसोसिएशन को इसे ठीक करने का काम दिया गया। इसके तीन सदस्यों ने 13 मार्च, 2020 में पंचगछिया आकर काम शुरू किया। एसोसिएशन के वरिष्ठ टेक्निकल असिस्टेंट अजय प्रताप सिंह के नेतृत्व में टीम की सदस्य बिंदु ने दिन-रात काम किया। 22 मई, 2022 को अंतिम टच देकर एक बार फिर पंचगछिया स्टेट के राजा की तस्वीर को जीवंत कर दिया गया। अजय प्रताप सिंह ने बताया कि 125 साल पुरानी पेंटिंग का संरक्षण जोखिम भरा काम था। तस्वीर के फ्रेम को छूने पर वह कई टुकड़ों में बंट गया। फ्रेम को ठीक करने में छह महीने की मेहनत लगी।
– लखनऊ के कलाकृति कंजर्वेशन एसोसिएशन ने दो साल की मेहनत कर पूरा किया काम
– काम करने के लिए तीन लोगों की टीम सहरसा जिले के पंचगछिया में रुकी
पेंटिंग के नवीकरण में रसायन का इस्तेमाल किया गया है। अजय प्रताप सिंह ने बताया कि सर्वप्रथम टेक्निकल व केमिकल क्लीनिंग की गई। पूरी पेंटिंग पर कंजरवेटिव घोल लगाया गया। इसके उपरांत अल्कोहल, क्लिपिंग आदि का इस्तेमाल किया गया। उन्होंने बताया कि पेंटिंग अब पचास साल तक खराब नहीं होगी।
इधर, राजघराने के प्रीतेश कुमार सिंह सोनू व पंकज सिंह ने बताया कि पूर्वजों की तस्वीर पूरे परिवार के लिए प्रेरणास्रोत होगी। अंग्रेजों के जमाने में पूरी शान-शौकत के साथ गरीबों, पीडि़तों एवं पिछड़ों के प्रति हमदर्दी की यह पेंटिंग परिचायक है। उनके घर में ऐसी तीन और पेंटिंगें हैं। सोर्स;जागरण ।