बिन अंगुली की हाथों वाली बिहार की करीना की लिखावट बेमिसाल,doctor बनने का है सपना..
The handwriting of Kareena of Bihar with fingerless hands।। story,मणिकांत, जमुई। Inspirational story : कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से तो उछालो यारो। इस कहावत को चरितार्थ कर दिखाया है एक ऐसी दिव्यांग बच्ची करीना ने, जिसकी चर्चा न केवल जमुई में बल्कि देश और प्रदेश में भी हो रही है। पहले तो हम उस बच्ची करीना के जज्बे को सलाम करते हैं। उनके हौसले इतने बुलंद हैं कि दोनों हाथ के दस अंगुली में से एक ही अंगुली है। वह भी बाएं हाथ में। इसके बावजूद वह पढ़ने में काफी तेज है। सुंदर लिखावट देख सभी आश्चर्यचकित हैं। बाएं हाथ के एक अंगुली के सहारे लिखती हैं, वह भी अन्य लोगों की तरह काफी तेजी से। करीना रोज स्कूल जाती है। सब कुछ याद करती है। वह कहती हैं कि वे डाक्टर बनना चाहती हैं। वह भी इसलिए कि गरीब लोगों की सेवा कर सके। उन्होंने कहा कि अगर उनके पास भी बहुत पैसा होता तो कृत्रिम तरीके से इसका उपचार करवा लेते।
हम बात कर रहे हैं नक्सल प्रभावित खैरा प्रखंड अंतर्गत कागेश्वर गांव निवासी अजय राम की 10 वर्षीया बेटी करीना की। वह छठी कक्षा में पढ़ती है। करीना के दोनों हाथ में सिर्फ एक अंगुली है। नौ अंगुलिया जन्म से ही नहीं है। केवल एक अंगुली के सहारे करीना अपनी पढ़ाई कर रही है। करीना के पिता अजय ट्रक चलाकर अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं। करीना की मां सुमन देवी बताती है कि उनके चार बच्चों में करीना दूसरे नंबर पर है। करीना का दोनों हाथ जन्म से ही इसी तरह के हैं। डाक्टर को दिखाया तो उन्होंने कहा कि दोनों हाथ को हटाकर कृत्रिम हाथ लगवा दो। लेकिन अर्थाभाव के कारण वे ऐसा नहीं करवा सके।is unmatched, dreams of becoming a doctor..Inspirational
करीना बताती है कि वह पढ़ लिखकर डाक्टर बनाना चाहती है। डाक्टर बनकर समाज के लोगों की मदद करना चाहती है। वह कहती है कि अंगुली नहीं होने पर उसका अपसोस नहीं है। करीना रोज स्कूल जाती हैं। उसकी इस हौसले को देखकर गांव के लोग आश्चर्यचकित है।