Saturday, October 5, 2024
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दंपती ने गली के कुत्‍तों के लिए घर में AC rooms का किया व्‍यवस्‍था,सुबह-शाम नाश्‍ता-भोजन,बिहार के इस अनोखे परिवार को देख रह जाएंगे हैरान…

(The couple arranged AC rooms in the house for the street dogs, breakfast and food in the morning and evening, you will be surprised to see this unique family of Bihar)

.सारण, बिपिन कुमार मिश्रा। तपती गर्मी में एसी कमरे में रहना काफी सुकून देता है। हर इंसान को यह नसीब नहीं हो पाता, लेकिन बिहार में एक ऐसा घर है जहां इंसान की कौन कहे गली के कुत्‍तों (Street Dogs) के लिए भी एयर कंडीशंड कमरे हैं। सुनकर अचरज होगा, पर यह सच है। सारण के छपरा लक्ष्‍मीनगर में एक शिक्षक ने अपने घर को कुत्‍तों का आशियाना बना दिया है। इस विशेष आशियाने में एक-दो नहीं पूरे 18 कुत्‍ते हैं, जो परिवार के सदस्‍य की तरह रहते हैं। शिक्षक की पत्‍नी उनके लिए सुबह-शाम भोजन पकाती हैं। ये कुत्‍ते गर्मी में पंखे और एसी में तो ठंड में कंबल में आराम फरमाते हैं।
नि:संतान दंपती के परिवार का हिस्‍सा बन गए हैं कुत्‍ते

मूल रूप से सिवान के रहने वाले शिक्षक पुष्‍पेंद्र कुमार पांडेय और उनकी धर्मपत्‍नी नीतू कुमारी की शादी को 25 वर्ष हो गए। पुष्पेंद्र कुमार पांडेय मढ़ौरा के उत्क्रमित मध्य विद्यालय दयालपुर में शिक्षक हैं। उनकी पत्नी गृहणी है। इन्हें कोई संतान नही है। 2007 से ये मढौरा के दयालपुर में शिक्षक है। पुष्पेंद्र पांडेय और उनकी पत्नी नीतू कुमारी की माने तो उनके घर में कोई संतान नही होने के कारण उनका घर सूना-सूना सा था। खासकर पति के स्‍कूल चले जाने के बाद नीतू को अकेलापन काटने को दौड़ता था। लेकिन अब इन्‍हें संतान नहीं होने का कोई गम नहीं है। गली के आवारा कुत्‍ते इनके परिवार बन गए हैं। एसी कमरे में आराम फरमाते हैं। सुबह-शाम खाना खाते हैं। अब इस घर मे कहने को तो सिर्फ एक शिक्षक और उनकी पत्नी रहती है, लेकिन जब आप इस घर में प्रवेश करेंगे तो 18 ऐसे सदस्य भी मिलेंगे जो इंसान तो नहीं हैं ले‍किन घर का हिस्‍सा बन चुके हैं।AC rooms

किचन से लेकर बेडरूम तक मंडराते रहते हैं

नीतू कुमारी इन कुत्‍तों को बच्‍चों जैसा स्‍नेह देती हैं। कुत्‍ते भी दिनभर उनके साथ रहते और खेलते है। कुत्‍तों को इनसे इतना स्‍नेह हो गया है हर पल उनके आगे-पीछे करते रहते हैं। किचेन खाना बना रही होती हैं तो वहां बैठ जाते हैं। कमरे में हों तो वहां नीचे दुम हिलाते रहते हैं। लोगों को ताज्‍जूब इस बात का होता है कि एक साथ इतनी संख्या में रहने के बावजूद भी आवारा कुते ना तो घर मे शोर मचाते है और ना ही किसी चीजों का नुकसान करते है। उनकी जो भी जरूरतें हो नीतू उनकी हरकतों से समझ जाती है।

सड़कों पर मंडराने वाले आवारा कुत्‍ते कई बार खौफ का कारण बन जाते हैं। कई लोग इन्‍हें मारते-पीटते हैं। इनके प्रति एक नकारात्‍मक भावना रहती है। लेकिन यहां आकर आपकी भावना पूरी तरह बदल जाएगी। यहां आवारा कुत्‍ते न सिर्फ झुंड में साथ रहते है बल्कि वो इंसानों की तरह बारी-बारी से भोजन भी समय से करते है। इन कुत्‍तों को गर्मी में परेशानियां न हो इसके लिये दिनभर पंखे की हवा के साथ साथ ही ज्यादा तापमान बढ़ने पर इनके लिये AC भी चलाई जाती है।

पांच वर्षों में एक से 18 पहुंच गई कुत्‍तों की संख्‍या

नीतू बताती हैं कि 2017 में एक आवारा कुत्ता आया। नीतू ने उसे भाेजन दिया। तब से वह नियमित आने लगा। एक दिन उसकी तबीयत खराब हो गई। पति-पत्‍नी ने उसका इलाज कराया। धीरे-धीरे कुत्‍तों की संख्‍या बढ़ती चली गई। आज इस घर में कुत्‍तों की संख्‍या 18 पहुंच चुकी है। ये ऐशोआराम में जीवन व्‍यतीत करते हैं। लक्ष्‍मीनगर के सभी आवारा कुत्‍तों का एक तरह से यह ठिकाना हो गया है। तकरीबन पांच वर्षों में यहां जो भी आवारा कुत्ता आया वो यही का हो गया।

उनके रहने और खाने-पीने के साथ नहाने की व्यवस्था बिल्कुल आम इंसानों की तरह ही है। खासकर गर्मी के दिनों की बात करे तो कुत्‍ते पूरे दिन पंखे के नीचे एक साथ रहते है, तापमान ज्यादा बढ़ते ही जब ये हांफने लगते हैं तो एसी चालू किया जाता है। आवरा कुते हांफने लगते है तो एसी चालू किया जाता है ताकि इन आवारा कुतों को कोई भी परेशानी न हो। इन्हें सुबह में बिस्किट और टिकरी दी जाती है। खाने के समय दूध-भात-चीनी शाम में दूध-रोटी या घर में बना दूसरा भोजन भी दिया जाता है।

व्‍यवहार के आधार पर रखा कुत्‍तों का नाम

संतान की मोहमाया की प्यासी नीतू इन कुत्‍तों को अपने संतान की तरह मानती हैं। सभी का बराबर ख्‍याल रखती हैं। शिक्षक और उनकी पत्नी ने कुत्‍तों के  व्यवहार से उनके नामकरण भी किये है, किसी का नाम भीम तो किसी का नाम अर्जुन और कुछ और। ऐसे ही सभी के नाम भी अलग-अलग हैं। इन कुत्‍तों से दंपती को इतना लगाव है कि इनकी देखरेख के लिए दोनों में किसी एक तो हमेशा घर में रहना पड़ता है। एक-दो घंटे के लिए बाहर जाना पड़े तो छिपकर निकलते हैं और दरवाजा खुला छोड़ जाते हैं।

नीतू कुमारी कहती हैं कि मैं इनकी भावना को इनके हरकतों से समझती हूं और इनके आंखों में अपनापन सा दिखता है। एक साथ सभी रहते हैंं। कोई शोर शराबा नही करते। दिनभर ये सभी घर के अंदर परिवारिक सदस्यो की तऱह रहते है और रात में ये घर के चारो तरफ घूमते रहते हैं।

Kunal Gupta
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