कारगिल युद्ध में समस्तीपुर के 21 बर्षीय लेफ्टिनेंट अमित ने भी दी थी शहादत..
समस्तीपुर । शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशा होगा..। महज 21 वर्ष की आयु में देश के युवा अधिकारी लेफ्टिनेंट अमित कुमार ने कारगिल युद्ध में अपनी शहादत देकर मातृभूमि की रक्षा की थी। युद्ध के दौरान लगातार ढाई महीने तक अग्रिम पंक्ति में मोर्चा संभाले रहे महमदा के अमित की शहादत को लोग कभी भूल नहीं सकते। बता दें कि पूसा प्रखंड के महमदा निवासी डॉ.एचपी सिंह के पुत्र लेफ्टिनेंट अमित सिंह ने कारगिल युद्ध में दुश्मनों के छक्के छुड़ाते हुए अपने प्राणों की आहूति दी थी। वर्ष 2000 में इंडियन मिलिट्री अकादमी से पास होने के बाद 3 जून 2000 को उसने 1-3 गोरखा राइफल में अपना योगदान दिया था। जुलाई में उसकी ड्यूटी कश्मीर के कुपवाडा़ जिले में लगाई गई थी। ढाई महीने तक मोर्चा संभालने वाला यह शख्स 3 सितंबर 2000 को वीरगति को प्राप्त हुआ। उस समय उसकी आयु महज 21 वर्ष थी। तभी तो उसकी शहादत पर तत्कालीन रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस ने कहा था- मातृभूमि की रक्षा की खातिर अपने प्राणों की आहूति देने वाले शहीदों की सूची में सबसे कम आयु का युवा अधिकारी अमित भी शामिल है। अमित के पिता डॉ हरिश्चंद्र प्रसाद सिंह भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली के हॉर्टिकल्चर विभाग के डीजी पद से सेवानिवृत हुए हैं।
वे डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति पद पर भी रहे। जबकि अमित की माता विमला सिंह हैं। अपने इकलौते पुत्र की याद में माता-पिता ने अगस्त 2007 में लेफ्टिनेंट अमित सिंह मेमोरियल फाउंडेशन की स्थापना की। जिसका उद्देश्य शिक्षा, सामाजिक उत्थान, विकास एवं आर्थिक संपन्नता है। यह फाउंडेशन आज भी देश के विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रहा है। लेफ्टिनेंट अमित फाउंडेशन के द्वारा जगह- जगह पर स्वास्थ्य शिविर भी लगाए जाते हैं। उनके पैतृक निवास पर लगी अमित की प्रतिमा पर पहुंचकर श्रद्धापूर्वक लोग आज भी नमन करते हैं। अमित की शहादत पर जिले के गणमान्य लोग पहुंचकर पुष्प अर्पित कर नमन करते हैं और उनकी बहादुरी को याद करते हैं।