समस्तीपुर;घटिया भोजन देखकर मुंह फेर लेते मरीज,एजेंसी की मनमानी से अस्पताल में गंदगी का साम्राज्य..
समस्तीपुर । वारिसनगर प्रखंड मुख्यालय स्थित पंचायत सरकार भवन में चल रहे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में कार्यरत गैर सरकारी संगठन मेसर्स कन्हाई शुक्ला सामाजिक सेवा संस्थान, हाजीपुर के कर्मियों द्वारा खानपान का निम्न स्तर रहने से प्राय: रोगी उनका भोजन नही करते हैं। अपने घर से मंगाकर खाना खाते हैं। यह स्थिति तब देखने को मिली जब सोमवार को पीएचसी पर पहुंचने पर रोगी और चिकित्सकों से बात की। सबसे दुखद स्थिति तो भर्ती मरीजों को दिए जाने वाले भोजन की है। लोगों का बताना था कि यदा-कदा रात में हल्का चावल या रोटी तथा सब्जी का वितरण इन रोगियों के बीच कर दिया जाता है। खाना घटिया रहने के कारण रोगी नही लेना ही मुनासिब समझते हैं।
इस संबंध में जब कार्यरत एनजीओ कर्मी से भोजन और नाश्ता के मेनू से संबंध में पूछा गया तो वह बताने से इंकार कर गई। वहीं पीएचसी में कहीं भी इस संबंध में दीवार पर कुछ नही लिखा हुआ पाया गया। फिर जेनरेटर सेवा के संबंध में पूछने पर सभी बताते हैं कि जेनरेटर सेवा यहां पीएचसी आने के बाद से सुधरी है। बिजली कट जाने के बाद लगभग 5 मिनट में जेनरेटर चालू हो जाता है। हम हम चलते है पीएचसी के आउटडोर व इमरजेन्सी कक्ष की ओर जहां तीन डॉ रोगियों को देख रहे थे। वहीं दवा वितरण कक्ष में भी लोगों के बीच दवा का वितरण किया जा रहा था। दवा के संबंध में पूछने पर कर्मचारी ने बताया कि अभी फिलहाल लिबोसेट्रिजीन तथा पैरासिटामोल को छोड़कर सभी दवाएं उपलब्ध है। यह दोनों दवा लगभग 15-20 दिन से अनुपलब्ध है। साथ ही कॉटन तो लगभग दो माह से अनुपलब्ध है। कमरे की अनुपलब्धता के कारण ओपीडी कक्ष में ही बनाए गए ड्रेसिग बेड के समीप विद्यमान गंदगी को देखकर एनजीओ की सफाई व्यवस्था का सहज अनुमान लगाया जा सकता है। गंदगी के कारण इंफेक्शन की संभावना बढ जाती है। वही यहां कार्यरत कर्मियों के लिए बनाए गए शौचालय का टूटा हुआ गेट देखकर सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि सरकारी व्यवस्था की शायद यही पहचान है।
वर्तमान में यह है व्यवस्था :
यहां सात डाक्टर का पद सृजित है। परंतु वर्षो से सिर्फ 3 डाक्टर ही नियुक्त है। स्त्री, शिशु, सर्जन व एनेस्थेसिक डाक्टर की नियुक्ति अभी तक नहीं हो पायी है। वही ड्रेसर का भी पद दो वर्ष से रिक्त पड़ा हुआ है। साथ ही यूनानी तथा होम्योपैथिक के राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत नियुक्त 4 डॉक्टर को विद्यालय तथा ऑगनबाड़ी से कार्य करके आने के बाद तथा अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र किशनपुर बैकुंठ व डरसुर में प्रतिनियुक्त डॉक्टर से ओपीडी तथा अन्य सभी इलाज में सहयोग लिया जाता है। इस व्यवस्था में भी यहां जून माह में ओपीडी में 2254 तथा प्रसव के लिए 204 महिलाओं का इलाज किया गया है।
कहते है प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी :
इस संबंध प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ रामचन्द्र महतो का बताना है कि आउटसोर्सिग कार्य में नियुक्त एनजीओ द्वारा लगातार रोगियों को भोजन देने में लापरवाही बरतने के कारण उसके द्वारा प्रस्तुत बिल को दो साल से 80-90 प्रतिशत काटकर भुगतान करने का आदेश लेखापाल तथा स्वास्थ्य प्रबंधक को दिया जाता है। साथ ही जिला को भी लिखित सूचना दी जाती है। जिला से बताया गया है कि इस एनजीओ के द्वारा कोर्ट में मामला दायर किया गया है। इस कारण इसे अभी हटाया नही जा रहा है। अब इन परिस्थितियों में स्वास्थ्य केन्द्र की व्यवस्था पर एनजीओ द्वारा प्रश्नचिन्ह लगना लाजिमी है। वही शौचालय का गेट टूटा रहने की बात पर बताते हैं कि जब पीएचसी यहां शिफ्ट हुआ उसी समय से है। प्रत्येक दिन स्वास्थ्य प्रबंधक को इसे ठीक करवाने का आदेश दिया जाता है। परंतु वह लगातार आज-कल की बात करते हैं।