अब कार पर भी दिखेगी मधुबनी पेटिंग की झलक, खुशबू ने दिया पुरानी कार को नया लुक.
बिहार की चर्चित मधुबनी पेंटिंग अब कारों पर भी दिखेगी. पुरानी कारों पर मधुबनी और मिथिला पेंटिंग बनाकर उसे नया लुक दिया जा रहा है. इसके पीछे एक बेहद दिलचस्प कहानी है. दरअसल 1964-65 के दशक में मिथिलांचल में एक भयानक अकाल आई थी और उस दौरान देश के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री थे.
अकाल से निपटने के लिए और स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए एक योजना बनी और इस योजना के लिए 2 अधिकारियों को नियुक्त किया गया. उन दो अधिकारियों में से एक थी तत्कालीन कला और संस्कृति विभाग भारत सरकार की सलाहकार पुपुल जयकर और दूसरे अधिकारी थे भास्कर कुलकर्णी जिसे इस आपदा से निपटने के लिए स्थानीय कला के विकास और उससे होने वाली आय को बढ़ावा देने के लिए भेजा गया था.
भास्कर कुलकर्णी ने कई महीनों तक मधुबनी में कैंपेनिंग किया और उन्होंने मधुबनी पेंटिंग की खूबसूरती को वैश्विक मानचित्र पर लाने में एक अहम योगदान दिया. उस वक्त यह कला अमूमन ब्राम्हण और कायस्थ परिवारों की महिलाओं तक ही सीमित था.
ऐसे में उच्च वर्ग की महिलाओं को घर से बाहर निकालना और व्यवसाय क्षेत्र में लाना एक बड़ी चुनौती थी लेकिन भास्कर कुलकर्णी ने बड़ी ही खूबसूरती के साथ ऐसा काम किया जिसकी झलक आज लगभग 60 साल गुजर जाने के बाद भी दिखाई दे रहा है. हम बात कर रहे हैं मधुबनी पेंटिंग की उस बारीक झलक की जो कभी घर के दीवारों के अंदर होती थी और आज यह खूबसूरत पेंटिंग की झलक पुराने कार पर भी नजर आ रही है.
पुरानी कारों को खूबसूरत बनाने में खुशबू कुमारी नाम की युवती ने अहम योगदान दिया है जिसने एमकॉम की पढ़ाई की है. अपने मधुबनी पेंटिंग की इस नायाब कला की झलक इस कार पर दिखाने के लिए खुशबू ने दिन रात एक कर दिया.
यह खुशबू की मेहनत ही है जिसने पुरानी कारों को भी नया लुक दे दिया और बिलकुल नयी नवेली दुल्हन की तरह सजी संवरी! दिखाई दे रही. इस पुराने कार को मधुबनी पेंटिंग ने सुंदरता में चार चांद लगा दिया है.
खुशबू के इस काम में उसके साथ पूरी टीम है और ये सभी अपनी इस कला को अपनी आमदनी का साधन बनाना चाह रहे है. खुशबू और उनकी टीम इससे पहले भी कई जगहों पर काम कर चुकी है, जैसे कि दरभंगा रेलवे स्टेशन को सजाना, ट्रेन को सजाना, कई कार्यालय को सजाना समेत मधुबनी स्टेशन को भी सजाने में इन्होंने अहम भूमिका निभा चुकी है.