गुठली बैंक से स्कूली बच्चे करते हैैं धरती का शृंगार, कोष को सहजते हैं मैनेजर,कैशियर और कर्मचारी..
नई दिल्ली।उन्नाव, [अंकित मिश्र]। जिले में एक ऐसा भी बैंक संचालित हो रहा है, जिससे धरती का शृंगार होता है। बैंक को संचालित कर रहे है परिषदीय विद्यालय के बच्चे। बैंक के कोष से तैयार होने वाले पौधों को अगली बारिश में रोप कर धरती का शृंगार किया जाता। नवाबगंज ब्लाक के सोहरामऊ स्थित प्राथमिक विद्यालय की शिक्षिका स्नेहिल पांडेय के सहयोग से यहां पढ़ने वाले तीन सौ बच्चों में से ही गुठली बैंक का मैनेजर, सहायक मैनेजर, कैशियर से लेकर कर्मचारी तक बनाए गए हैं। ये बच्चे अपनी दिनचर्या के दौरान स्कूल में बनाए गए गुठली बैंक के कोष में फलदार और आक्सीजन देने में सहयोगी वृक्षों के बीज और गुठली जमा करते हैं।
मानसून की दस्तक होते ही स्कूल के बच्चे बैंक में जमा कोष से गुठलियों को लेकर अपने और आसपास के गांवों की खाली पड़ी जमीनों, स्कूल परिसर के भीतर और बाहर की खाली पड़ी जमीन में उनको बिखरा देते हैं। अगले साल बारिश की दस्तक होने तक बिखराई गईं गुठलियों से तैयार हुए पौधों को स्कूल के बच्चे उपयु1त जगह पर रोपते हैं। इस साल भी बैंक में जमा हुईं गुठलियों को बच्चों ने खाली जगहों पर बिखरा दिया। वहीं जो गुठलियां कोविड से पहले 2019 में बैंक की स्थापना वर्ष में जमा हुईं थी उनसे तैयार पौधों को उपयु1त जगहों पर रोपा गया। अगले दो साल कोविड महामारी के चलते स्कूल नहीं खुले तो बच्चे गुठली कोष को भर न सके। इस साल कोष भरा तो बच्चों ने प्रकृति की गोद का शृंगार भी किया
वर्ष 2019 में बना था गुठली बैंक
सोहरामऊ के परिषदीय विद्यालय की शिक्षिका स्नेहिल पांडेय ने बताया कि अपनी क्यारी में फेंके गए बीजों से पौधे बनते देखने पर उनको गुठली बैंक बनाने की प्रेरणा मिली। बैंक के गुठली कोष से क्षेत्र के आधा दर्जन गांव में खाली पड़ी भूमि (ग्राम समाज व अन्य) के अलावा क्षेत्र के कई परिषदीय विद्यालयों में बीज बोये जा चुके हैं। उनमें लगभग डेढ़ सौ पौधे बड़े हो चुके हैं। इन्हीं बीजों और गुठलियों का प्रयोग बारिश के साथ शुरू किया जाता है।
पौधों को संरक्षित करने पर मिलता है प्रशस्ति पत्र
गुठली बैंक के कर्मचारी यानी छात्र-छात्राओं पर बीज जमीन में दबाने के बाद संरक्षण का जिम्मा भी रहता है, जिन छात्रों के पौधे एक साल से अधिक समय पूरा कर लेते हैं और पेड़ का स्वरूप लेने लगते हैं। उन छात्रों को स्वजन सहित शिक्षिका की ओर से प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया जाता है, जिससे उनका उत्साहवर्धन तो होता ही है, साथ ही दूसरे बच्चे भी उनसे प्रेरित होते हैं।