Tuesday, November 26, 2024
Patna

नेक काम;बिहार की गुंजेश्वरी चाहती थी मृत्यु के बाद मेडिकल छात्र-छात्राओं के काम आए शरीर,पुत्र ने किया देहदान..

दरभंगा। शहर के अल्लपटटी स्थित इंदिरा कालोनी निवासी स्व. शारदानंद पाठक की पत्नी गुंजेश्वरी देवी (83) की अंतिम इच्छा थी कि मृत्यु के बाद उनका शरीर (शव) मेडिकल की पढ़ाई करनेवाले छात्र-छात्राओं के काम आए। उन्होंने इस बात से अपने परिवार के सभी सदस्यों को अवगत करा रखा था। मां की अंतिम इच्छा के अनुसार उनके पुत्र चंद्रभूषण पाठक ने सभी स्वजनों की उपस्थिति में रविवार को उनके निधन के बाद उनका शरीर दरभंगा मेडिकल कालेज के एनाटोमी विभाग को दान कर दिया। डा. मनुकांत चौरसिया की सूचना पर दधीचि देहदान समिति बिहार की पहल पर देहदान की प्रक्रिया पूरी की गई। जिले में देहदान देने का यह दूसरा मामला है। देहदान के बाद गुंजेश्वरी देवी समाज के लिए प्रेरणास्त्रोत बन गईं। पुत्र ने बताया कि मां की बस यहीं अंतिम इच्छा थी की उनकी मौत के बाद उनके शरीर के माध्यम से मेडिकल छात्र-छात्राएं पठन-पाठन और शोध कार्य करें। ताकि अन्य बीमार लोगों की जिदगी बचाने में मदद हो।

सोलह साल पहले पति की हुई थी मौत

स्वजनों के मुताबिक गुंजेश्वरी ने अपना जीवन एक सफल गृहिणी के रूप में व्यतीत किया। अब से करीब सोलह साल पहले पति शारदानंद पाठक का निधन हो गया था। पति के निधन के बाद भी वह अपने परिवार के लिए कड़ी मेहनत और स्वस्थ संस्कार देने के हमेशा प्रयत्नशील रही। वह अपने पीछे इकलौते पुत्र चंद्रभूषण पाठक, दो पुत्री रेखा झा और उषा झा को छोड़ गई हैं। बताया गया कि उन्होंने सुबह 3:50 में अपने निवास स्थान पर अंतिम सांस ली। देहदान के साथ-साथ अंगदान की भी थी इच्छा

दिवंगत महिला के पुत्र चंद्रभूषण पाठक बताते हैं मां तो चाहती थीं कि देहदान के अलावा उनके शरीर के अंगों को भी दूसरे के लिए दान किया जाए। इस बीच उत्तर बिहार में अंगदान की व्यवस्था नहीं होने के कारण उनकी यह इच्छा पूरी नहीं हो सकी। समाज में जागृति आ रही है। अब जरूरी है कि स्थानीय स्तर पर अंगदान का भी इंतजाम किया जाए।

सात सालों से दधीचि देहदान समिति चला रही अभियान, सिक्किम के राज्यपाल व अन्य ने दी श्रद्धांजलि

दधीचि देहदान समिति पिछले सात सालों से नेत्रदान, अंगदान और देहदान के लिए मुहिम चला रही है। समिति के महामंत्री पद्मश्री विमल जैन ने बताया कि मृत्यु को जीवन का अंत न बनाएं। संकल्प लेकर नेत्रदान,अंगदान और देहदान करने का संकल्प लें। बताया कि इस देहदान को लेकर समिति के मुख्य सरंक्षक सांसद एवं पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी एवं समिति के अध्यक्ष सिक्किम के राज्यपाल गंगा प्रसाद ने भी अपनी अपनी श्रद्धाजंलि अर्पित कर मृतक की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की है। दधीचि देहदान समिति ने इस काम के लिए दरभंगा मेडिकल कालेज के प्राचार्य डा केएन मिश्रा और अधीक्षक डा हरि शंकर मिश्रा के प्रति आभार व्यक्त किया है।

पठन-पाठन के काम में होता है लाभ

एनाटामी विभाग के अध्यक्ष डा. एसके कर्ण ने बताया कि इस संसार में मौत होना सत्य है। लेकिन, मौत के बाद भी उनका शरीर किसी के काम में आ जाएं तो, यह पुनीत का काम है। मौत के बाद कालेज को मिले इस शरीर से मेडिकल छात्र-छात्राओं को पठन-पठन में काफी लाभ होता है। मृत शरीर से मेडिकल छात्र-छात्राओं को शोध कार्य में भी काफी लाभ मिलता है।

14 माह के भीतर हुआ दूसरा देहदान

एनाटोमी विभाग के एचओडी समेत अन्य चिकित्सक एवं महिला के स्वजनों ने मृत महिला के शव पर पुष्प माला चढ़ा कर श्रद्धांजलि अर्पित की। एनाटोमी विभाग के चिकित्सकों ने देहदान को लेकर स्वजनों के प्रति आभार व्यक्त किया। बताया कि इससे पहले दरभंगा में 28 मार्च 2021 को रक्तवीर प्रणव ठाकुर की पहल पर उनकी धर्मपत्नी स्व. वसुधा झा का देहदान किया गया था। अबतक बिहार में कुल आठ लोगों का देहदान किया गया है।

Kunal Gupta
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