Thursday, November 28, 2024
Patna

मां की मौत के बाद पिता ने भी मोड़ा मुंह,नाना-नानी के साथ रहकर CBSE की बिहार टापर बनीं श्रीजा,जाने सफलता की कहानी..

CBSE 10th Topper Shreejaपटना। CBSE 10th Topper: जहां सरस्‍वती हो वहां लक्ष्‍मी न आए, हो नहीं सकता। लेकिन यहां लक्ष्‍मी के पास ज्ञान की देवी को आना पड़ा। बात हो रही है बिहार की उस श्रीजा की जिसके नाम का अर्थ लक्ष्‍मी है। लेकिन ज्ञान ऐसा मानो साक्षात सरस्‍वती माता ने कृपा की है। सीबीएसई दसवीं की परीक्षा में दरभंगा की श्रुति के साथ संयुक्‍त रूप से टापर बनीं श्रीजा की कहानी उन सबके लिए प्रेरणा है जो बाधाओं के आगे हार मान लेते हैं। इस लड़की ने तमाम बाधाओं को पार को मुकाम हासिल किया वह मील का पत्‍थर साबित हो गया है। 

मां का आंचल छिना, पिता ने भी छोड़ा

श्रीजा की सफलता की कहानी साधारण नहीं है। होश संभालते ही मां रुचि सोनी का आंचल छिन गया। तब श्रीजा महज चार साल की थी। इसके बाद पिता ने श्रीजा और उनकी छोटी बहन को छोड़ दिया। उन्‍होंने दूसरी शादी कर ली। तब से दोनों बहनें पटना में अपने नाना सुबोध कुमार के घर रहने लगीं। नानी कृष्‍णा देवी, मामा चंदन सौरभ और संकेत शेखर ने दोनों बहनों के स्‍नेह में कभी कमी नहीं रखी। नानी बताती हैं कि दोनों बच्‍चों को छोड़ने के बाद दामाद एक बार उन्‍हें देखने तक नहीं आए।

डीएवी से श्रीजा ने की है पढ़ाई

श्रीजा सातवीं तक डीएवी पाटलीपुत्र में पढ़ी। आठवीं में उनका नामांकन बोर्ड कॉलोनी डीएवी में कराया गया। अपनी लगन और मेहनत से श्रीजा ने सीबीएसई की 10वीं की परीक्षा में 99.4 फीसद (497) अंक हासिल किया। इसके बाद बिहार की ये बेटी आइकान बन गई है।

आज जश्‍न उनके दरवाजे पर होता न…

मूल रूप से पटना जिले के मरांची के रहने वाले श्रीजा के नाना गांव में खेती-बाड़ी करते हैं। समय-समय पर बच्‍चों से मिलने आते रहते हैं। श्रीजा के मामा चंदन बताते हैं कि उन्‍होंने और उनके भाई ने मिलकर श्रीजा का बेहतर मार्गदर्शन किया। उसे कोचिंग के लिए बाहर जाने की जरूरत ही नहीं पड़ी। श्रीजा के बारे में वे बताते हैं कि वह साइंस विषय से पढ़ना चाहती है। उसका सपना आइआइटी मद्रास में एडमिशन लेकर पढ़ने का है। श्रीजा की इस उपलब्धि पर नाना-नानी की खुशी का ठिकाना नहीं है। वे कहते हैं कि बेटियां किसी से कम नहीं होती। हमारी नतिनी ने एक बार फिर इसे साबित कर दिया है। नानी कहती हैं कि जो हमारी इन बेटियों को छोड़  दिए उन्‍हें पछतावा तो जरूर हो रहा होगा। क्‍योंकि जो जश्‍न हमारे दरवाजे पर हो रहा, उनके दरवाजे पर होता।

Kunal Gupta
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