बिहार के बेटे का अनोखा लैंड माइंस,अब दुश्मन के पैर रखते ही होगा विस्फोट, दोस्तों की करेगा मदद…
कहलगांव (भागलपुर)। कहलगांव प्रखंड के सलेमपुर सैनी गांव के मजदूर अभय राम के 16 वर्षीय पुत्र राजा कुमार राम विज्ञानियों वाले काम कर रहा है। देश की सुरक्षा के लिए की उपकरण बना रहा है। छोटे स्तर पर कुछ अन्य यंत्र तैयार भी किए हैं जो बेहद उपयोगी हैैं। राजा ने इस साल शारदा पाठशाला से मैट्रिक सेकेंड डिवीजन पास किया है।
बनाया लैैंड माइंस उपकरण
राजा कुमार अपने घर के एक छोटे कमरे में अपने खर्च और सुविधानुसार उपकरण यंत्र बना रहा है। राजा कुमार ने बताया कि एक लैंड माइंस उपकरण बनाया है जो दुश्मन के पैर रखते ही विस्फोट कर जाएगा। भारत के सैनिकों के जूते में एक डिवाइस लगानी होगी जिससे यह यंत्र उनकी पहचान कर सकेगा। इसका डेमो भी पटाखे में तार जोड़कर दिखाया। साथ ही दुश्मनों की निगहबानी के लिए बार्डर सुरक्षा यंत्र बनाया है जो किसी भी घुसपैठिए के आने पर बेस कैंप को अलर्ट कर देगा। राजा स्वचालित रडार बना रहा है, जिससे घुसपैठियों के आते ही गोलियां चलने लगेंगी। इसके अलावा कचरे की आग से बिजली उत्पादन करने का उपकरण बना रहा है। उससे बल्ब को चमकाकर डेमो दिखाया।
झपकी आने पर बंद हो जाएगा इंजन
वाहन चालक के झपकी आने पर इंजन स्वत: बंद हो जाएगा। ऐसा उपकरण भी राजा बना रहा है। इसपर कुछ काम किया है। राजा कुमार ने कहा कि बचपन से ही इलेक्ट्रानिक सामान बनाने की ललक थी। मोटर पंप, रोबोट आदि बनाता थे। गांव के ही आशीष रंजन कभी कभी सहयोग करता है। आर्थिक तंगी के कारण आगे बढ़ नहीं पा रहे हैं। आर्थिक सहयोग मिलने पर इन उपकरणों को बड़ा रूप देकर प्रदर्शित किया जा सकता है। अभी तक मेरे द्वारा तैयार उपकरणों को देखने कोई नहीं आया है। यहां तक कि विद्यालय को जानकारी रहने के बाद भी हमारे माडल को प्रदर्शित नहीं कराया गया है। आर्थिक सहयोग और बेहतर गाइडलाइंस मिले तो और भी बेहतर कर सकेंगे। राजा कुमार दो भाई और तीन बहन है। ग्रामीणों को राजा कुमार पर गर्व है।
स्टार्टअप योजना के तहत छात्र को दी जाएगी मदद
ट्रिपल आइटी, भागलपुर के हेड, इलेक्ट्रानिक एंड कम्युनिकेशन इंजीयरिंग डा. धीरज कुमार सिन्हा ने कहा कि इस तरह की डिवाइस अब तक किसी देश की सेना द्वारा प्रयोग में नहीं लाई जा रही है, जो दुश्मनों को देखते ही आटोमेटिक तरीके से फायर करने लगे। छात्र द्वारा बनाई गई डिवाइस को देखने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है। यदि छात्र ने नई तकनीक इजाद की है तो उसे वह टिपल आइटी लाए। यदि डिवाइस कारगर रही तो स्टार्टअप योजना के तहत उसे आर्थिक और तकनीकी मदद भी दी जाएगी।