बिहार की बेटियों को न समझे कम,साइकिल से दुनिया नापने की हसरत, अर्पणा के स्वागत में उमड़ा शहर..
सीतामढ़ी। आमतौर पर बेटियों को रात-बिरात अकेले घर से बाहर न निकलने की नसीहत दी जाती है वहां यह बहादुर बिटिया साइकिल से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह क्षेत्र नालंदा से बिहार का चक्कर लगा रही है। वह भी सिर्फ 20 साल की उम्र में। साइकिल से पूरी दुनिया नापने की हसरत रखती है। इस विचार का मन में आना और उसे अंजाम देने में जी-जान से जुट जाना उसके साहस और जीवट सोच का ही नतीजा है। स्नातक की छात्रा अपर्णा सिन्हा ने बताया कि वह इस यात्रा से पहले बिहार से केरल 3306 किलोमीटर की दूरी 28 दिन में तय कर चुकी है। 9 मार्च को साइकिल से ही नेपाल गई थी। पाल्यूशन फ्री इंडिया की थीम के साथ वह केरल तो बेटियों को बढ़ावा देने की थीम के साथ नेपाल की यात्रा पूरी है।
अपर्णा के घर में उसकी मां के अलावा उससे बड़े भाई मेडिकल लैब टेक्नीशियन और बड़ी बहन बीएड कर रही है। दीपनगर नेघी के रहने वाले स्व. नंद किशोर प्रसाद की पुत्री है। मौके पर एसडीपीओ सदर सुबोध कुमार ने जानकी स्थान जानकी मंदिर प्रांगण में बुके देकर स्वागत किया। सीतामढ़ी पेज टीम के रंजीत पूर्बे, अमरेंद्र गुप्ता, अमित दा, स्माइली सुमन ने आई लव सीतामढ़ी टीशर्ट भेंट किया और शाल ओढ़ाया। मौके पर समाजसेवी अभिषेक मिश्रा शिशु, राजेश सुंदरका, आलोक कुमार आदि थे।
26 जून को बिहार भ्रमण पर निकली, महिला सशक्तिकरण का संदेश
महिला सशक्तिकरण का संदेश लेकर बिहार भ्रमण पर 26 जून को नालंदा से निकली है। रविवार को शुक्रवार को 17 जिलों की यात्रा करते हुए अपर्णा मधुबनी के रास्ते वाया बाजपट्टी सीतामढ़ी पहुंची। इसके बाद शिवहर के लिए निकल जाएगी। अपर्णा ने बताया कि साइकिल यात्रा का मकसद नारी सशक्तिकरण को बढ़ावा देना है। समाज में महिलाएं सशक्त हो रही हैं। आभी समाज में कुछ दबी-कुचली महिलाएं हैं, जो अपनी इच्छा से स्वतंत्र तरीके से नहीं जी पा रही हैं।
उनको संदेश देना है कि मैं एक लड़की होकर अकेले साइकिल से पूरा बिहार घूम सकती हूं तो आप लोग भी हर कुछ कर सकते हैं। स्कूटी एक्सीडेंट होने के बाद साइकिलिग की ठानी अपूर्वा ने बताया कि वह साल 2020 में भोपाल में स्कूटी से शहर घूम रही थी। इसी क्रम में सड़क हादसे का शिकार हो गई। जिसके बाद मन में ख्याल आया कि साइकिल से घूमना ज्यादा बेहतर होगा। अपर्णा के साइकिल से खोज यात्रा पूरी करने के बाद उसके गांव के और आसपास की कई लड़कियां उसकी मुरीद हो गई है। वह भी इससे सीख लेकर एडवेंचर और साइकिलिग करना चाहती हैं। वह शिक्षक बनना चाहती है जिससे समाज में लड़कियों के बीच नारी सशक्तीकरण को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। वह आजीवन शिक्षक बनकर समाज में नारियों के बीच काम करना चाहती है।
महिला सशक्तीकरण का संदेश लेकर साइकिल से निकली अपर्णा