Monday, December 23, 2024
Patna

Unique Talent: पेड़ की पत्ती पर बना देंगे आपकी तस्वीर, हर कोई बोल पड़ता है- Its Amazing ।

Unique Talent ।विधु शेखर, सिकन्दरा (जमुई): किसी भी कला को बुलंदी पर पहुंचने के लिए साधन की नहीं, बल्कि साधना की जरूरत होती है। सचमुच इसे साबित किया है प्लस टू उच्च विद्यालय लछुआड़ के कला के जादूगर शिक्षक कुमार दुष्यंत ने। दुष्यंत को अपनी कल्पना को साकार रूप देने के लिए किसी बड़े से कैनवास की जरूरत नहीं है क्योंकि आज पत्ते पर उकेरे उनके चित्र इतने जीवंत हैं कि सहसा ही मन मोह लेते हैं। कला के क्षेत्र में जलवा बिखेर रहे कलाकार दुष्यंत के अंदर प्रेरणा तब जगी जब वह सातवीं कक्षा में पढ़ाई कर रहे थे। उस वक्त उनके बड़े भाई गंधर्व चित्रकारी का कार्य किया करते थे। भाई द्वारा बनाई तस्वीरों को देखने के बाद दुष्यंत के अंदर जुनून सवार हो गया। जुनून था जल रंगों के साथ पेंसिल वर्क और आयल पेंटिंग से तस्वीरें बनाने का। जिस भाई की तस्वीरें देखकर उसने जल रंगों को अपना जीवन माना था, वो भाई भी इसके मुरीद हो गए।

चित्रकार के रूप में तो इस कलाकार ने खूब नाम कमा रखी है। लगभग 15 साल से हुनर को तराश रहे दुष्यंत के हाथों में इतना हुनर है कि उनके द्वारा पीपल के पत्तों पर बनाई गई कई मानव आकृतियों का चित्र बोलते प्रतीत होते हैं। दुष्यंत ने जीवंत छवि के अलावा देश की ग्रामीण लोक संस्कृति को भी रंगों से कुछ इस तरह उभारा है कि इन्हें देखकर आंखे ठिठक जाती है। जिस उम्र में बच्चे डाक्टर या इंजीनियर बनने की सोचते हैं, उस उम्र में कलाकार दुष्यंत बिहार के प्रसिद्ध चित्रकार नंदलाल बसु की तरह जल रंगों से नायाब तस्वीरें बनाकर रंगों की अपनी नई दुनिया बसाने का सपने देखने लगा था। जैसे जैसे बड़ा होता गया, वैसे -वैसे इसकी कला में निखार आता चला गया।सातवी कक्षा अर्थात छोटी सी उम्र में ही इसने जल रंगों से ऐसी तस्वीरें बनाई, जिससे कई सारे लोग इसके मुरीद हो गए। उस नन्हे कलाकार के नन्हे हाथ अब बड़े हो गए हैं। इस तरह चित्रकारी की जुनून ने उन्हें कला शिक्षक बना दिया। ये मूल रूप से जमुई के बिठलपुर गांव के हैं।

पत्तियों पर बना देते हैं इंसानों की तस्वीर
इंटरनेट मीडिया पर वायरल होते हैं दुष्यंत के वीडियो
चर्चा में है जमुई का दुष्यंत
लीव आर्ट कला में माहिर हैं दुष्यंत
जगे रहे कला शिक्षा का अलख

कलाकार कुमार दुष्यंत अपने पिता रवींद्र मिश्रा से प्रेरणा लेकर अपने गांव में बच्चे एवं बच्चियों को लगातार पांच वर्षों से निशुल्क कला शिक्षा बांटकर अपनी कला का अलख जगा रहा है। पिता रवींद्र मिश्रा की भी अनूठी कहानी है। वे भी लगातार 30 वर्षो से गांवों में 6 से 10 तक के बच्चे एवं बच्चियों को नि:शुल्क पढ़ाकर शिक्षा का अलख जगा रहे हैं। पिता के पदचिन्हों पर चलकर दुष्यंत ने कला के क्षेत्र में नि:शुल्क शिक्षा बांटने का संकल्प ले लिया। दुष्यंत का कहना है कि हमारी चाह रहती है कि हर युवा कला के क्षेत्र में आगे बढ़कर कला प्रेम को जगाए।

बेहद सरल स्वभाव व मृदुभाषी चित्रकार कुमार दुष्यंत ने गांव की प्राथमिक पाठशाला बिठलपुर से अपनी आरंभिक शिक्षा ली,और सन 2002 में जवाहर उच्च विद्यालय जमुई से मैट्रिक की परीक्षा पास की। तत्पश्चात कला की निपुणता हासिल करने में चार साल बिताया। वहीं वर्ष 2006 में एकलव्य कालेज जमुई से इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की। आर्ट्स कालेज पटना से वर्ष 2013 में चित्रकला विषय में स्नातक परीक्षा उत्तीर्ण की। फिर इन्होंने फोर्थ ईयर सन 2012 में अपने आर्ट्स कालेज पटना में ही प्रथम बार एकल चित्रकला प्रदर्शनी का आयोजन कर अपनी कला प्रतिभा का लोहा मनवाया। दुष्यंत का कहना है कि उन्हें अन्य चित्रों को बनाने की अपेक्षा व्यक्ति चित्र बनाने में ज्यादा रुचि है। मंत्री के चित्र को पीपल के पत्तों पर उकेरने पर मंत्री ने स्वयं इस कलाकार को बुलाकर अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया।
सोर्स-जागरण।

Kunal Gupta
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