भारतीय पर्वतारोही नरेंद्र सिंह यादव ने एवरेस्ट पर चढ़ 6 साल बाद सबसे ऊंची चोटी फतह कर धोया यह दाग ।
PC-Narender singh yadav twitter,नई दिल्ली. भारतीय पर्वतारोही नरेंद्र सिंह यादव को दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने का फर्जी दावा करने के कारण 6 साल के लिए बैन किया गया था. लेकिन, अब नरेंद्र ने हकीकत में एवरेस्ट की चढ़ाई कर अपने ऊपर लगे दाग को धो दिया है. नरेंद्र ने 2016 में माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने का दावा किया था. उन्होंने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर चढ़ाई से जुड़ी जो अपनी तस्वीरें शेयर की थी. जांच में यह पाया गया था कि उन तस्वीरों से छेड़छाड़ की गई है. इसके बाद नेपाल सरकार ने उनके एवरेस्ट फतह करने के सर्टिफिकेट को भी रद्द कर दिया था. इतना ही नहीं, नरेंद्र का दावा फर्जी पाए जाने के बाद खेल मंत्रालय ने 2020 में तेंजिग नोर्गे पुरस्कार के लिए की गई उनकी सिफारिश को खारिज कर दिया था और उन्हें यह पुरस्कार नहीं मिला.
नेपाल सरकार ने पिछले साल नरेंद्र और उनकी साथी पर्वतारोही को अपने देश में पर्वतारोहण करने से 6 साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया था. यह बैन 2016 से ही लागू किया था, जो 2022 में खत्म हुआ है. इसके बाद नरेंद्र ने पहली बार माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई की है.
मेरे लिए एवरेस्ट की चढ़ाई जरूरी थी: नरेंद्र
नरेंद्र ने यह उपलब्धि हासिल करने के बाद न्यूज एजेंसी एएफपी को बताया, “एवरेस्ट पर चढ़ाई करना हर किसी का सपना होता है. लेकिन, मेरे लिए तो यह जिंदगी है. मेरे ऊपर कई तरह के आरोप लगे थे. इसलिए खुद को साबित करने के इरादे से मैंने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई की.”
‘अभियान दल के लीडर ने तस्वीरों में छेड़छाड़ की थी’
नरेंद्र अब भी यही दावा करते हैं कि उन्होंने माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई कर ली थी. लेकिन अभियान की अगुवाई कर रहे शख्स ने उनकी तस्वीरों के साथ छेड़छाड़ की थी और 2020 में जब भारत में उन्हें तेंजिंग नोर्गे पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया तो, शख्स ने उन तस्वीरों को सोशल मीडिया पर शेयर कर दिया. इसके बाद खेल मंत्रालय ने उनका नामांकन रद्द कर दिया था.
‘मेरे लिए अनुभव पीड़ादायक था’
इसे याद करते हुए नरेंद्र ने कहा कि मेरे और परिवार के लिए वो अनुभव बेहदक पीड़ादायक था. उनका बैन इसी साल 20 मई को खत्म हुआ था और इसके 7 दिन बाद ही वो माउंट एवरेस्ट के शिखर पर थे और इस बार अपनी सफलता को साबित करने के लिए उनके पास ढेरों तस्वीरें और वीडियो हैं.
नेपाल के पर्यटन विभाग ने भी लगाई मुहर
नेपाल पर्यटन विभाग के अधिकारी बिष्मा राज भट्टराई ने कहा, “हमने उन्हें (नरेंद्र यादव) बीते बुधवार को माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई पूरी करने को लेकर एक सर्टिफिकेट दिया था. उन्होंने इससे जुड़े सबूत पेश किए थे.
कैसे एवरेस्ट चढ़ने का सर्टिफिकेट मिलता है?
किसी पर्वतारोही ने माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई की है या नहीं, इसके लिए एक सर्टिफिकेशन सिस्टम होता है. फिलहाल, यह साबित करने के लिए पर्वतारोही ने माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई की है. उसके लिए तस्वीरों के साथ ही अभियान दल के नेता और बेस कैंप पर मौजूद नेपाल सरकार के लायजन ऑफिसर की रिपोर्ट लगती है. हालांकि, इसके कारण कई बार फर्जीवाड़े भी हुए हैं. 2016 में एक भारतीय जोड़े पर 10 साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया गया था, क्योंकि उन्होंने कथित तौर पर छेड़छाड़ की तस्वीरें के जरिए खुद को माउंट एवरेस्ट के शिखर पर दिखाया था. यह दोनों पुलिस कांस्टेबल थे और उन्होंने शिखर पर एक अन्य भारतीय पर्वतारोही द्वारा ली गई तस्वीरों से छेड़छाड़ कर अपने पोस्टर और बैनर लगा दिए थे.
इस साल, 7 मई को नेपाल के पर्वतारोहियों के दल ने माउंट एवरेस्ट का रूट खोला था. इसके बाद से मौसम अच्छा है और इसी वजह से नेपाल ने 500 से अधिक पर्वतारोहियों को दुनिया की सबसे ऊंची चोटी के शिखर पर पहुंचने की अनुमति दी है.