छूट गया नौकरी,बिक गया दुकान,इस योजना से दिव्यांका की बच गया जान,हुआ सफल ऑपरेशन ।
मुजफ्फरपुर ।गरीबी के बीच पुत्री की असहनीय वेदना दिलिप को मन ही मन कुंठित कर रही थी। एक दुकान थी वह भी इलाज के चक्कर में बिक गयी। अब दिलिप के पास प्राईवेट नौकरी करने के अलावा कोई चारा नहीं था। प्रकृति का प्रकोप ऐसा कि कोविड काल में नौकरी भी चल गयी। अब तो उसे घर चलाना भी मुश्किल मालूम पड़ता था। ऐसे में उसकी 14 साल की बेटी दिव्यांका के दिल के छेद की बीमारी उसके हृदय पर प्रहार कर रही थी। तभी उन्हें राष्ट्रीय बाल सुरक्षा कार्यक्रम के बारे में उनके ही भाई ने बताया। जिसमें मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना के तहत उनकी बेटी दिव्यांका चंद्रा के दिल के छेद का सफल ऑपरेशन अहमदाबाद में हुआ। दिलिप कहते हैं आरबीएसके ने उनकी बेटी की बीमारी का वनवास खत्म कर दिया।
गांव से अहमदाबाद तक सब मुफ्त-
मुसहरी प्रखंड के बावनबिगहा गांव के रहने वाले दिलिप कहते हैं कि मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना के तहत अक्टूबर 2021 को दिव्यांका की स्क्रीनिंग आईजीआईसी पटना में हुई थी। जिसमें इको के तहत 4 एमएम का छेद देखा गया। उसके बाद अक्टूबर 2021 में ही विमान से अहमदाबाद ले जाया गया जहां दिव्यांका का सफल ऑपरेशन हुआ। इस पूरे यात्रा एवं ऑपरेशन के दौरान मेरा एक भी रुपया खर्च नहीं हुआ।
जन्म से ही था हृदय में छेद-
दिलीप बताते हैं कि उनकी बेटी को जन्म के समय से ही छिद्र था। यह बात उन्हें पता थी। पहले उसे दस्त और सर्दी खांसी बहुत ज्याद रहती थी। जिसका इलाज कभी पटना में कराता कभी मुजफ्फरपुर में, जो जहां बताता मैं वहां चला जाता । इस कारण समय की बर्बादी और बिजनेस में ध्यान नहीं देने के कारण बहुत लॉस रहने लगा। मेरा बिजनेस भी घाटे का सौदा साबित हुआ। फिर प्राईवेट नौकरी की। मेरे जीवन में मेरी कमाई का बड़ा हिस्सा दिव्यांका की बीमारी में ही गया। कोविड के कारण प्राईवेट नौकरी थी वह भी चली गयी। अब मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना के तहत जो मेरी बेटी की बीमारी का वनवास खत्म हुआ है इसका मैं सदा आभारी रहूंगा। अब वह बिल्कुल स्वस्थ्य है और बारहवीं में पढ़ भी रही है।