Mithali Raj: महिला क्रिकेट की शान मिताली राज, जिन्हें नींद और किताबों से प्यार है!
Mithali Raj Retirement:नई दिल्ली,
भारतीय महिला क्रिकेट के बारे में अगर देश में किसी भी बच्चे से पूछ लें, तो उसके मुंह से सबसे पहला नाम शायद मिताली राज का ही निकलेगा. पिछले दो दशक से देश का नाम रोशन करने वालीं मिताली राज ने इंटरनेशनल क्रिकेट से संन्यास ले लिया है. मिताली राज ने एक लंबे संघर्ष और अपनी मेहनत से ऐसा मुकाम हासिल किया, जो किसी को नहीं मिला. मिताली राज की जर्नी कैसी रही, आइए जानते हैं..
हैदराबाद के सिकंदराबाद में रहने वाले दोराई राज, जो भारतीय वायुसेना में काम करते थे. वायुसेना के लिए नौकरी करते हुए वो राजस्थान के जोधपुर से हैदराबाद में शिफ्ट हुए थे. दोराई राज, वायुसेना के अफसर थे यानी अनुशासन कूट-कूट कर भरा था. ऊपर से वह साउथ इंडियन भी थे, जो नियमों को दिल से मानते हैं. लेकिन अनुशासन से भरे दोराई राज के घर में एक ऐसी लड़की भी थी, जो इन बंधनों से परे थे.
ये वक्त 1990 का था, दोराई राज की बेटी मिताली राज उस वक्त सिर्फ 8 साल की थी. एक छोटी बच्ची, जिसे आपके और हमारी तरह नींद काफी प्यारी थी. और बस यही चाहती थी कि कोई उसे सुबह जल्दी ना उठाए. दोराई राज और उनकी पत्नी लीला राज भी बस यही सोचते थे कि बेटी के आलस को दूर कैसे करें, तब दोराई राज ने 8 साल की मिताली को क्रिकेट ग्राउंड ले जाना शुरू कर दिया. मिताली के भाई उस वक्त सिकंदराबाद के सेंट जॉन्स अकादमी में क्रिकेट की कोचिंग लिया करते थे.
पिता ने मिताली को भी साथ ले लिया, वह भी क्रिकेट खिलाने के लिए नहीं बल्कि आलस को दूर भगाने के लिए. तब मिताली का बस यही काम होता था कि वह ग्राउंड के बाहर बाउंड्री पर बैठकर अपने स्कूल के होमवर्क को पूरा करती थी. वहां अपने भाई और दूसरे लोगों को क्रिकेट खेलते हुए देखते रहती थी. जब होमवर्क खत्म हो जाता, भाई की कोचिंग भी पूरी हो जाती, तब 8 साल की मिताली भी ग्राउंड में घुसकर बैट उठा लेती और 8-10 बॉल खेलने लगती. ये सिर्फ एक छोटी लड़की का बचपना था, लेकिन सेंट जॉन्स अकादमी के कोच ज्योति प्रसाद को कुछ अलग ही नज़र आया.
ज्योति प्रसाद, जो खुद फर्स्ट क्लास क्रिकेटर रह चुके थे और अपने नाम के आगे 100 से ज्यादा विकेट दर्ज कराए हुए थे. उन्होंने मिताली राज के पिता दोराई से बात की और बेटी के खेलने के तरीके पर गंभीरता से सोचने को कह दिया. आलस दूर करने के बहाने क्रिकेट के मैदान पर ले जाई गईं मिताली राज ने उस वक्त जो कैजुअली 8-10 बॉल खेलीं, उसने हिन्दुस्तान में महिला क्रिकेट का इतिहास और आने वाली कई पीढ़ियों को बदलकर रख दिया.
साल 2017. एक और महिला क्रिकेट वर्ल्डकप, टीम इंडिया का पहला मुकाबला खेला जा रहा था. भारत और इंग्लैंड की टीमें आमने-सामने थीं, टीम इंडिया के ओपनर्स बल्लेबाजी कर रहे थे. अगला नंबर मिताली राज का था, लेकिन जैसे ही कैमरे की नज़र पवेलियन के आसपास गई तब मिताली राज पैड-अप, बल्ला कुर्सी के बगल में रखकर एक किताब पढ़ रही थीं. यानी वर्ल्ड कप चल रहा हो, आप एक टीम की कप्तान हो और बैटिंग करने का अगला नंबर आपका ही हो, तो सोचा जा सकता है कि कितना प्रेशर होगा लेकिन मिताली राज आराम से किताब (Essential Rumi, उस किताब का नाम) पढ़ रही थीं.
उस मैच में स्मृति मंधाना, पूनम राउत की पार्टनरशिप भी लंबी चली थी, दोनों ने एक साथ 144 रन जोड़े थे. ऐसे में मिताली राज का किताब निकालना भी सफल हो गया, कुछ वक्त बाद जब मिताली बैटिंग करने गईं तब उन्होंने शानदार 71 रनों की पारी खेली. तब मिताली की ये लगातार सातवीं फिफ्टी थी. इसके बाद टीम इंडिया का अगला मैच वेस्टइंडीज़ के साथ था और तब भी मिताली का यही अंदाज़ सबके सामने आया था.
मिताली राज खुद बताती हैं कि बैटिंग करने का नंबर जब आने वाला होता है, तब काफी प्रेशर होता है. ऐसे में किताब पढ़ने से गेम का सारा प्रेशर हट जाता है, वह खुद इस दौरान साथी खिलाड़ियों के साथ किताब की अच्छी बातें शेयर भी करती रहती हैं. क से किताब के अलावा मिताली को क से कथक से भी प्रेम है.
मिताली राज ने करीब आठ साल कथक सीखा, जब 9 साल की उम्र में क्रिकेट की असली कोचिंग शुरू हुई तब भी मिताली राज कथक ही सीख रही थीं. तब उन्हें डांस छोड़ना पड़ा और क्रिकेट में अपनी लगन लगानी पड़ी. मिताली खुद को अभी भी एक डांसर सुनना पसंद करती हैं, क्योंकि वही उनका पहला पैशन भी था, लेकिन क्रिकेट को लेकर चीज़ें इतना सीरियस हो चुकी थीं कि उससे अलग कुछ सोचा ही नहीं गया.
21वीं सदी का 21वां साल चल रहा है, आधुनिक देश बनने की ओर कदम भी बढ़ चुके हैं. चीज़ें बदलना शुरू हुई हैं, लेकिन अभी भी कई फील्ड में महिलाओं का आगे बढ़ना मुश्किल है. क्रिकेट के फील्ड में भी ये आसान नहीं है, लेकिन नई पीढ़ी के लिए मिताली राज एक उम्मीद है. पिछले दो दशक से मिताली राज फील्ड पर हैं, अभी भी खेल रही हैं. मेंस क्रिकेट में जो रुतबा सचिन तेंदुलकर का है, वही वुमेंस क्रिकेट में मिताली राज का है. आंकड़ों को देखेंगे तो कई मायनों में मिताली मेंस क्रिकेटर्स को भी पीछे छोड़ देंगी, लेकिन वो अलग चर्चा का विषय है. तमाम दुश्वारियों के बीच आज जब वुमेंस क्रिकेट ऊंचाइयों की ओर जा रहा है, उसमें अहम योगदान मिताली राज का भी है.
मिताली राज ने लड़कियों की एक पूरी पीढ़ी को तैयार किया है, जो क्रिकेट खेल रही हैं और खेलना चाहती हैं. कई ऐसी भी हैं, जो अभी टीम इंडिया का हिस्सा हैं और मिताली राज को ही अपना हीरो मानती हैं. दो दशक का क्रिकेट करियर किसी भी खिलाड़ी के लिए मुश्किल होता है, लेकिन मिताली राज ने अभी तक इस मुश्किल को पार किया है.
एक बार एक पत्रकार ने मिताली राज से सवाल किया कि उनका पसंदीदा मेंस क्रिकेटर कौन-सा है. तब मिताली का जवाब कुछ ऐसा था कि वर्किंग कल्चर, सोसाइटी की सोच और भी कई दुश्वारियों को तोड़ता है. मिताली राज ने पत्रकार से साफ कहा कि क्या यही सवाल आप किसी पुरुष क्रिकेटर से पूछते हैं कि उनकी फेवरेट वुमेन क्रिकेटर कौन है?
ऐसा ही एक किस्सा और भी है, जहां मिताली राज का एक सवाल उनके फाइटर होने पर मुहर लगाता है. साल 2017 की बात है, जब मिताली राज ने एक तस्वीर ट्विटर पर पोस्ट की थी. तस्वीर में वेदा कृष्णमूर्ति, ममता मेबन, नूशीन अल खदीर भी मौजूद थीं. इसी फोटो पर एक यूज़र ने कमेंट किया कि मिताली की बगल से पसीना निकल रहा है, बस फिर क्या था. फाइटर मिताली ने ऐसा जवाब दिया कि बोलती ही बंद कर दी.
मिताली राज का जवाब था, ‘मैं जहां हूं. क्योंकि इसके लिए मैंने मैदान पर बहुत पसीना बहाया है. इसमें शर्मिंदा होने का मुझे कोई कारण नहीं दिखाई देता.’ इस जवाब पर तालियां भी बजीं और तब की कैप्टन मिताली को लोगों ने सैल्यूट भी किया. इस जवाब में वो आत्मविश्वास था, जिसने दो दशक में क्रिकेट के मैदान पर अपने हुनर से समाज में चली आ रही कई दुश्वारियों को तोड़ा है.