Wednesday, November 27, 2024
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छह कोचों के साथ तैयार हुई रैपिड रेल,इसकी खासियत जान रह जाएंगे हैरान ।

Regional rapid rail:गाजियाबाद. बीते सप्ताह आरआरटीएस ट्रेन सेट दुहाई डिपो पहुंचा था. ट्रेन सेट के छह कोच को अब जोड़ दिया गया है. छह कोच को जोड़कर एक फुल ट्रेन तैयार हो गई है. छह कोच से जुड़ी ट्रेन की पहली तस्वीरें चेहरे पर भी मुस्कान लाने वाली हैं. इधर ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देने के लिए दुहाई डिपो की प्रशासनिक बिल्डिंग में यूनिक सोलाट्यूब लाइटिंग का प्रयोग किया जा रहा है. भारत की प्रथम रीजनल रेल के परिचालन के लिए गाजियाबाद के दुहाई डिपो में बनाई गई आरआरटीएस की प्रशासनिक बिल्डिंग में रौशनी के लिए अत्याधुनिक तकनीक से तैयार सोलाट्यूब डे-लाइटिंग सिस्टम लगाया जा रहा है. इस ग्रीन एनर्जी सिस्टम के प्रयोग से दिन में जब तक सूर्य का प्रकाश रहता है, तब तक बिल्डिंग में बिजली की बचत की जा सकेगी है.

सोलाट्यूब डे-लाइटिंग सिस्टम प्रशासनिक बिल्डिंग की सबसे ऊपर वाली तीसरी मंजिल में लगाया गया है. इस मंजिल में वर्किंग डेस्क, कॉरिडॉर, कॉमन एरिया और वाशरूम आदि में कुल लगभग 30 सोलाट्यूब डे-लाइट लगाई जा रही हैं. इस सिस्टम की खासियत यह है कि यह सूरज के प्रकाश को ग्लास ट्यूब की मदद से बिल्डिंग में फैला देता है. यह सोलर ऊर्जा प्रणाली नहीं है, बल्कि यह सिस्टम सूरज के प्रकाश को एक ट्यूब के जरिये सीधा उस एरिया में ट्रांसफर करता है, जहां रोशनी की जरूरत होती है. सोलाट्यूब डे-लाइटिंग सिस्टम में डोम (कैप्चर जोन), फ़्लैशर (डोम सपोर्ट), रिफलेक्टिव इन्फिनिटी ट्यूब (ट्रान्सफर जोन) और डिफ्यूजर या बल्ब (डिलिवरी जोन) चार घटक होते हैं.

यह है डोम की खासियत
डोम (कैप्चर जोन) सूरज से प्रकाश प्राप्त करने वाली गोल आकार की गुंबद जैसी डिवाइस होती है, जिसे खुली छत पर लगाया जाता है. डोम पारदर्शी और अल्ट्रावायलट प्रकाश प्रतिरोधी होता है. यह सूर्य के प्रकाश को रिसीव करता है. डोम के सपोर्ट के लिए इसके साथ ही फ्लैशर लगाया जाता है, जिसकी मदद से डोम अपनी जगह से नहीं हिलता. इसके बाद प्रकाश रिफलेक्टिव इंफिनिटी ट्यूब में आता है. इस ट्यूब का दूसरा हिस्सा बिल्डिंग के अंदर डिफ्यूजर से कनेक्ट होता है. रिफलेक्टिव इन्फिनिटी ट्यूब डोम से मिलने वाले प्रकाश को डिफ्यूजर तक पहुंचाती है और डिफ्यूजर कमरे या जहां भी इसे लगाया है, वहां रोशनी कर देता है.

भारत में स्वच्छ और हरित पर्यावरण की दिशा में योगदान करने के अपने दृष्टिकोण के तहत, एनसीआरटीसी सभी आरआरटीएस स्टेशनों, डिपो और अन्य भवनों के लिए आईजीबीसी सर्टिफिकेशन की उच्चतम रेटिंग प्राप्त करने का प्रयास कर रहा है. सोलाट्यूब डे-लाइटिंग सिस्टम का प्रयोग भी इसी दिशा में उठाया गया एक कदम है, जिसकी मदद से ग्रीन एनर्जी के प्रयोग को बढ़ावा मिलेगा. इसके अलावा ग्रीन ऊर्जा के दोहन के लिए आरआरटीएस स्टेशन और डिपो की छत पर सौर पैनल लगाए जाएंगे. एनसीआरटीसी आरआरटीएस सिस्टम के लिए मुख्य रूप से अक्षय और सौर ऊर्जा से मिश्रित ऊर्जा प्राप्त करने का प्रयास कर रहा है. अभी न्यूनतम 10 मेगावाट सोलर ऊर्जा उत्पन्न करने का लक्ष्य रखा गया है और दिल्ली-गाज़ियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर की कुल ऊर्जा आवश्यकता का लगभग 40% तक नवीकरणीय ऊर्जा से प्राप्त/उत्पन्न करने का लक्ष्य है.

Kunal Gupta
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