आंखों की रोशनी गयी फिर भी मां ने बेटे को बना दिया UPSC का टॉपर,7वीं रैंक की हासिल।
नई दिल्ली. देश के सर्वाधिक प्रतिष्ठित परीक्षा परिणाम में UPSC TOP 10 में दिल्ली के सम्यक जैन ने 7वीं रैंक हासिल करके मिसाल कायम की है. सम्यक आंखों से देख नहीं सकते हैं लेकिन टॉप 10 में आकर उन्होंने लाखों लोगों के लिए राह दिखा दी है. ऐसे लोग जो देश के सबसे बड़े एक्जाम की तैयारी में जुटे हैं या तैयारी के लिए सोच रहे हैं, उन सबको सम्यक ने दिखा दिया कि मेहनत, लगन और कभी हार ना मानने की जिद से कुछ भी हासिल किया जा सकता है.
सम्यक जैन ने NEWS 18 INDIA को बताया कि उन्होंने UPSC के बारे में दो साल पहले मन बनाया. मार्च 2020 में तैयारी शुरू की और 2020 में ही परीक्षा दी लेकिन कामयाब नहीं हो सके. सम्यक ने कहा कि पहला अटेंप्ट उनके लिए ट्रायल था. वो ये देखना चाहते थे कि UPSC की परीक्षा में क्या चुनौतियां होती हैं और किन दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. सम्यक ने इस कामयाबी का श्रेय अपने पैरंट्स को दिया. खासकर मां वंदना जैन को. वंदना जैन खुद एयर इंडिया में कार्यरत हैं लेकिन अपने व्यस्त शेड्यूल से वक्त निकालकर सम्यक का पूरा साथ दिया और बेटे को टॉपर बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी.
सम्यक की मां वंदना जैन ने न्यूज 18 इंडिया को बताया कि उनका और सम्यक का आपस में कम्युनिकेशन अच्छा रहा है. यानी जब सम्यक बोलते थे तो उनका काम लिखने का होता था. इसके लिए काफी प्रैक्टिस भी की. खाली वक्त में घर में बैठकर प्रैक्टिस करते थे. वंदना ने बताया कि किस तरह से डिक्टेट करना और उसे समझकर उसे कैसे लिखना है यही हमने तैयारी की.
18 साल की उम्र में सम्यक के आंखों रोशनी चली गयी तो सामने बड़ी चुनौती आ खड़ी हुई. सम्यक ने बताया कि ‘जब मैं 18 साल का था तो ये डिटेक्ट हुआ कि मुझे जेनेटिक डिजीज़ है जिसका कोई इलाज नहीं है. इसमें प्रॉब्लम बढ़ती चली जाती है. अब मैं विजुअली इंपेयर्ड हूं और मुझे थोड़ा कम दिखता है. मैं रीड नहीं कर सकता और राइटिंग के लिए मुझे डिस्क्राइब करने की जरूरत होती है और मैं डिक्टेट किया करता था और मम्मी लिखा करती थी.’
यूपीएससी से बेहतर कोई और ज़रिया नहीं
सम्यक का जन्म दिल्ली में हुआ. 13 साल की उम्र तक दिल्ली में रहे. दिल्ली के शाहदरा से स्कूलिंग की. उसके बाद एयर इंडिया में कार्यरत उनके पिता का ट्रांसफर मुंबई हो गया और फिर वहां से सम्यक ने अपनी दसवीं और बारहवीं की पढ़ाई की. फिर इंजीनियरिंग की पढ़ाई शुरू किया लेकिन कुछ कारणों से उसे ड्रॉप करना पड़ा और फिर सम्यक दिल्ली आ गए और यहां पर दिल्ली विश्वविद्यालय में बीए इंग्लिश ऑनर्स किया. उसके बाद फिर IIMC यानी इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन से इंग्लिश जर्नलिज्म का कोर्स किया और वहीं से फिर जेएनयू में दाखिला ले लिया. वहां पर सम्यक ने इंटरनेशनल रिलेशंस में पढ़ाई की. जेएनयू में पढ़ाई के दौरान सम्यक को इंस्पिरेशन मिली तो उन्होंने यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी. सम्यक ने कहा कि जर्नलिज्म के दौरान देश को जानने और समझने का बहुत ही अच्छा मौका मिला. देश के लिए और देश के हालात को बदलने के लिए उन्हें लगा कि यूपीएससी से बेहतर कोई और ज़रिया नहीं हो सकता.
सबसे ज्यादा मदद माता-पिता से मिली
सम्यक के मुताबिक उन्हें ज्यादा मदद माता पिता से मिली. खासकर उनकी मां वंदना जैन से. क्योंकि उन्हें डिजिटल फॉर्मेट में बुक्स चाहिए होती थी, सभी व्यवस्था की जिम्मेदारी मम्मी का काम होता था. दोस्तों ने मदद की. गाइडेंस दी, नोट्स दिए और हर तरीके से मदद की. डिस्कशन और डिबेट में भी मदद की. सम्यक दिन के करीब 7 घंटे पढ़ते थे जिसमें ब्रेक भी लेते थे. सम्यक बताते हैं कि उन्होंने इस रिजल्ट की कभी उम्मीद नहीं की थी. भगवान से यही प्रार्थना थी कि लिस्ट में किसी तरह के उनका नाम आ जाए.यहां तक कि 200वी से लेकर 300वी रैंक हासिल हो जाय तो बढ़िया पर सिंगल डिजिट में नाम आना किसी सपने से कम नहीं है. जब से एग्जाम के रिजल्ट आए हैं तब से फोन बजना बंद नहीं हुआ है लोगों के फोन आ रहे हैं और बधाइयां मिल रही हैं.
अब देश के लिए कुछ करने का इरादा
सम्यक ने कहा कि उनके जैसे लोगों के लिए UPSC के एक्ज़ाम के लिए स्पेशल सेंटर होते थे जिसका अरेंजमेंट होता था और उन्हें इससे बहुत खुशी होती थी कि कितना कुछ उनके जैसे लोगों के लिए व्यवस्था की गई है. सम्यक कहते हैं कि इस देश को पॉलिसी इंप्लीमेंटेशन की बहुत जरूरत है तो अपने डिस्ट्रिक्ट में वो सरकारी नीतियों को लागू करना चाहेंगे और गर्ल्स चाइल्ड एजुकेशन और वुमेन एम्पावरमेंट पर काम करना चाहेंगे.