Tuesday, November 26, 2024
Patna

मृतक को जिंदा करने के नाम पर घंटों होता रहा अंधविश्वास का खेल,मुर्दे में नहीं लौटी जान ।

जमुई. इक्कीसवीं सदी में इंसान ने भले विकास के तमाम पैमाने गढ़ लिए हों बावजूद इसके आज भी समाज में अंधविश्वास की जड़ें गहरी हैं. बिहार के जमुई (Jamui) में एक युवक की मौत के बाद उसे जिंदा करने की घंटों तक कोशिश किए जाने का मामला सामने आया है. घटना शहर के लगमा मोहल्ले की है. गांव के मां काली मंदिर परिसर के यात्री शेड में युवक का शव (Dead Body) रख कर ग्रमीण और उसके परिवारवाले उसे जिंदा करने का प्रयास करते रहे. बताया जा रहा है कि 40 वर्षीय विपिन कुमार रावत की मौत करंट लगने से हो गई थी.

सोमवार की सुबह विपिन अपने छोटे भाई की शादी की बारात में जाने की तैयारी कर रहा था. जेनरेटर का तार लपटने के दौरान करंट लगने से वो अचेत हो गया. इसके बाद परिवारवाले उसे सदर अस्पताल ले गए, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. विपिन का शव जब उसके घर लाया गया तो परिजनों को लगा कि उसकी धड़कन अभी भी चल रही है. यह सुनकर वहां लोगों की भीड़ इकट्ठा हो गई और शव को काली मंदिर परिसर के यात्री शेड में रख कर ग्रामीण उस पर राख और बेलन रगड़ने लगे. अंधविश्वास का यह खेल वहां घंटों तक चलता रहा मगर विपिन के बेजान शरीर में जान नहीं आई.

काफी देर तक कोशिश करने के बाद भी जब परिवारवाले और ग्रामीण मुर्दा शरीर में जान फूंकने में नाकाम रहे तब शव का अंतिम संस्कार के लिए ले जाया गया.

मृतक के रिश्तेदार विनोद कुमार रावत ने बताया कि उनलोगों को विश्वास था कि विपिन जिंदा हो जाएगा, इसलिए करंट लगने के बाद जिस तरह से घरेलू उपचार किया जाता है वो हम लोग कर रहे थे. हालांकि, सोचने वाली है कि जब सदर अस्पताल के डॉक्टर ने विपिन को मृत घोषित कर दिया था, तो फिर मुर्दे को जिंदा करने के नाम पर घंटों तक अंधविश्वास का यह खेल क्यों खेला जाता रहा.

Kunal Gupta
error: Content is protected !!