बिहार में खान विभाग में कर्मियों के इतने पद है खाली,बालू घाटों की नीलामी,खनिजों के खनन जैसे काम प्रभावित ।
बिहार में खान विभाग इस समय अधिकारियों और कर्मचारियों की जबरदस्त कमी से जूझ रहा है। आलम यह है कि अधिकारियों के 50 फीसदी तो कर्मचारियों के 70 फीसदी पद रिक्त हैं। इससे बालू घाटों की नीलामी की प्रक्रिया, बालू के अलावा अन्य खनिजों के खनन के लिए विभागीय प्रक्रिया, राजस्व वसूली और नियमित मॉनिटरिंग जैसे कार्य बुरी तरह प्रभावित हैं।
अवैध खनन को बढ़ावा
विभाग की अधिसंख्य गतिविधियां बालू खनन तक सिमट कर रह गयी हैं। अन्य खनिजों को लेकर विभाग कागजी कसरत में ही उलझा है। यही नहीं ईंट-भट्ठों को लेकर भी सरकारी रणनीति का कार्यान्वयन भी ढंग से नहीं हो पा रहा है। आज भी सूबे में महज 16 जिलों में बालू का खनन हो पा रहा है, अभी वह भी बंद है, जबकि 29 जिलों में बालू की उपलब्धता है और पहले इन जिलों में बालू का खनन होता था। सरकार को राजस्व की भी प्राप्ति होती थी। लेकिन, पिछले दो वर्षों से विभाग बालू खनन को लेकर कई तरह की परेशानी झेल रहा है। 10 वर्षों से नियुक्ति नहीं होने से विभाग में 314 अराजपत्रित पह रिक्त हैं। पद रिक्त रहने से अवैध खनन को बढ़ावा मिल रहा है।
प्रोन्नति के लिए भी नहीं हैं अधिकारी
पिछले दिनों मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राज्यस्तरीय खनन टास्क फोर्स की बैठक में विभाग में अधिकारियों-कर्मचारियों की कमी का मामला सामने आया था। समीक्षा में सबसे चौंकाने वाली बात यह थी कि प्रोन्नति से भरे जाने वाले पदों के लिए भी पदाधिकारी नहीं थे। बिहार खनिज सेवा के तहत खनिज विकास पदाधिकारी के कुछ पद, सहायक निदेशक, उप निदेशक एवं अपर निदेशक के सभी 44 पद प्रोन्नति से भरे जाते हैं, लेकिन हाल यह है कि जिन पदों पर काम करने वालों को यह प्रोन्नति दी जानी है, वे सारे पद ही रिक्त हैं। ऐसे में पदोन्नति से भरे जाने वाले पदाधिकारी ही नहीं हैं। लिहाजा कार्य सुगमता से संचालित करने के लिए बिहार खनिज सेवा नियमावली के नियम को क्षांत करते हुए सीधे बहाली की आवश्यकता जतायी गयी है।
कहते हैं पदाधिकारी
खान एवं भूतत्व विभाग के अपर मुख्य सचिव हरजोत कौर का कहना है कि परेशानी तो है, लेकिन हम रिक्त पदों पर बहाली के लिए प्रयास कर रहे हैं। रिक्त पदों पर नियमित नियुक्ति के लिए कार्मिक विभाग से अनुरोध किया गया है। शीघ्र बहाली का रास्ता साफ होगा।