Tuesday, November 26, 2024
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छोटे से गांव की बेटी ने 91वीं रैंक हासिल की,12वीं के बाद ही UPSC क्लीयर करने की ठानी, IFS बनने का सपना ।

बीकानेर ।डेस्क,बीकानेर के एक छोटे से गांव नौरंगदेसर की प्रज्ञा जाट ने यूपीएससी परीक्षा में 91वीं रैंक हासिल की ह।  वह विदेश सेवाओं में काम करने का मौका पाना चाहती है। दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से पढ़ाई करने वाली प्रज्ञा ने 10वीं और 12वीं में बेहतरीन अंक हासिल करने के बाद भी डॉक्टर या इंजीनियर बनने का सपना नहीं देखा था। उन्हें केवल सिविल सेवा में जाना था, इसलिए उन्होंने मानविकी, अर्थशास्त्र और समाजशास्त्र जैसे विषयों को चुना।
बातचीत में प्रज्ञा ने कहा कि दसवीं-बारहवीं कक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करने का मतलब सिर्फ डॉक्टर या इंजीनियर बनना नहीं है। सिविल सेवा के माध्यम से हम देश की बेहतर सेवा कर सकते हैं। पसंद का एकमात्र आधार यह है कि आपको कड़ी मेहनत करनी होगी। किसी भी परिस्थिति में ‘हार’ नहीं करना चाहिए। आखिरी पेपर के आखिरी प्रश्न तक कड़ी मेहनत करनी होगी। असफलता का मतलब यह नहीं है कि हम इसे नहीं कर सकते, बल्कि हम इसे सफलता में बदलने के लिए कड़ी मेहनत कर सकते हैं।

प्रज्ञा कहती है कि वह दो बार प्री-क्लियर कर पाई लेकिन तीसरी बार उसने कड़ी मेहनत के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। हर बात को गहराई से समझने की कोशिश की। यही वजह है कि इस बार इसने देश के टॉप 100 में जगह बनाई है। उन्होंने अपनी मेहनत का श्रेय 91वीं रैंक को दिया है।
प्रज्ञा की मां आशा चौधरी एक साधारण गृहिणी हैं, लेकिन उन्हें सिविल सर्विस में लाने में उनकी बड़ी भूमिका रही है। जब उनके पिता आर.सी. चौधरी की दूरदर्शिता प्रज्ञा के लिए कारगर साबित हुई। उनके बड़े भाई का नाम प्रतीक है, जो इस समय मास्टर डिग्री कर रहा है।

मेरा गांव सबसे अच्छा है

जब प्रज्ञा से नौरंगदेसर के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मेरा गांव सबसे खूबसूरत है। मैं अल्पकालिक था लेकिन हमारा परिवार अभी भी एक है। कोई भी त्योहार हो, मां-बाप वहीं रहते हैं। हर छोटे-बड़े आयोजन में गांव पहुंच जाते हैं। प्रज्ञा फिलहाल गुड़गांव में हैं और उन्होंने दिल्ली से अपनी पढ़ाई पूरी की है। पिता रेलवे में काम करते थे, इसलिए उन्हें कई शहरों में रहने का मौका मिला। इस दौरान उन्होंने कुछ समय जोधपुर में भी बिताया।

Kunal Gupta
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