शादी से इनकार करने पर पिता ने 4 साल तक नहीं की थी बात,अब दुनिया भर में बज रहा मुजफ्फरपुर की रेणु का डंका।
मुजफ्फरपुर. बिहार के मुजफ्फरपुर जिले की बेटी ने दुनियाभर में अपना डंका बजाया है. कभी बाल विवाह की वजह से घर छोड़ने वाली लड़की आज पूरे विश्व में हजारों-लाखों महिलाओं की आवाज बन चुकी हैं. जिस लड़की से उनके पिता ने 4 साल तक बात नहीं की थी, आज दुनिया में उनके नाम का डंका बज रहा है. जी हां! हम बात कर रहे हैं मुजफ्फरपुर के मिठानपुरा की रहने वालीं रेणु पासवान की. रेणु पासवान को हाल में ही G-100 ग्रुप का चेयरपर्सन बनाया गया है. यह ग्रुप दुनियाभर की प्रभावशाली महिलाओं का संगठन है, जो महिला के अधिकारों के लिए आवाज उठाता है.
रेणु बिहार से पहली महिला हैं, जिन्हे G-100 ग्रुप में शामिल किया गया है. लैंगिक समानता के क्षेत्र में काम करने वाली रेणु ने जेंडर इक्वलिटी पर तीन किताबें लिखी हैं. इसके बाद उनकी पहचान अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर होने लगी. मिठनपुरा निवासी नागेंद्र पासवान चाहते थे कि बेटी की शादी जल्द से जल्द हो जाए. इसलिए उन्होंने मैट्रिक पास करते ही रेणु की शादी तय कर दी, लेकिन रेणु को यह मंजूर नहीं था. उन्होंने शादी न करने का फैसला कर लिया. उनके फैसले से घर के लोग बेहद नाराज हुए. रेणु ने आगे की पढ़ाई जारी रखी. उन्होंने बेंगलुरु से बायोटेक्नोलॉजी किया और फिर साल 2008 में पुणे से MBA किया. उन्होंने 10 साल तक नौकरी भी की.
लोग देते थे टाइटल चेंज करने की सलाह
रेणु अपने संघर्षों के बारे में खुलकर बताती हैं. रेणु दलित समाज से आती हैं, ऐसे में उन्हें कई बार लोगों ने टाइटल चेंज करने की भी सलाह दी, लेकिन उन्होंने इसे नजरअंदाज कर दिया. रेणु ने न तो टाइटल बदला और न ही खुद को. उन्होंने अपने काम की बदौलत अपनी पहचान ही बदल दी. रेणु की इस जिद की वजह से उन्हें 2020 में ‘शी द चेंज’ टाइटल मिला.
महिलाओं के लिए कर रही हैं काम
रेणु बताती हैं कि जी-100 से हर क्षेत्र से अलग-अलग सशक्त महिलाएं जुड़ी हैं, जिसका फायदा समाज के हर तबके की महिलाओं को होगा. रेणु जेंडर एडवोकेट के तौर पर काम कर रही हैं. लैंगिक असमानता की शिकार महिलाओं को आगे बढ़ने में सहयोग भी कर रही हैं.
क्या है G-100
G-100 एक इंटरनेशनल प्लेटफॉर्म है, जो महिलाओं के सशक्तीकरण पर काम करता है. इसमें अलग-अलग क्षेत्र से जुड़ीं 135 देशों की महिला लीडर हैं, जो अलग-अलग देशों की महिलाओं के लिए मिलकर काम करती हैं. इस संगठन से 10 लाख से ज्यादा महिलाएं जुड़ी हुई हैं.