नालंदा का सोनू और जमुई की सीमा के बाद नया नाम कृष्णा, दिव्यांग कृष्णा बोलने में भी है असमर्थ ।
जमुई। अलग-अलग कारणों से नालंदा के सोनू और जमुई की सीमा को सुर्खियां मिली। मदद के लिए विभिन्न संगठनों, संस्थानों, बुद्धिजीवियों और शासन प्रशासन के हाथ भी उठे। लेकिन, ऐसे जरूरतमंदों की समाज में लंबी फेहरिस्त है। जो यह जता रहा है कि सिर्फ एक की मदद से समाज का कल्याण होने वाला नहीं है। करना है तो पूरे स्वास्थ्य और शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करें। जी हां, कम से कम फतेहपुर गांव का कृष्णा तो जरूर इसकी बानगी है। वही फतेहपुर जहां की सीमा एक पैर से विद्यालय की दूरी नाप कर सुर्खियां पाईं। पिछले दो दिनों से यहां आने वाले लोगों का तांता लगा है। उसी भीड़ से अलग बेबस और लाचार कृष्णा उम्मीद भरी निगाहों से निहारता दिख जाता है। कृष्णा के पिता ईट भट्ठा पर मजदूरी करते हैं। किशोरावस्था में प्रवेश कर चुका कृष्णा सिर्फ दोनों पांव से दिव्यांग नहीं बल्कि बोल पाने में भी असमर्थ है। वह पांच भाई-बहनों में सबसे बड़ा है।
मां शिवानी देवी बताती हैं कि बचपन से ही दोनों पैरों से दिव्यांग है। संभवत है पोलियो का शिकार हुआ है। गरीबी के कारण वह इसका इलाज कहीं नहीं करवा पाई। कृष्णा के मन में भीड़ को लेकर कैसी कौतूहलता है और वह खुद के भविष्य के बारे में क्या सोच रहा है, यह तो वही जाने लेकिन भीड़ से अलग होकर उसकी निगाहें बहुत कुछ बयां कर रही है। स्थानीय प्रशासन से लेकर सरकार तक के लिए कृष्णा बड़ा संदेश है। दरअसल जमुई के खैरा प्रखंड अंतर्गत फतेहपुर गांव में इन दिनों सीमा के घर दिन घर मेला लगा रहता है। उसी भीड़ को कृष्णा अलग बैठकर घंटों निहारता रहता है। गुरुवार को भी एसडीपीओ जमुई सहित अन्य लोग पहुंचे थे। इस दौरान भी कृष्णा लोगों को निहारता हुआ दिखा। इस पर जागरण की नजर पड़ी और फिर उसे कैमरे में कैद कर उसके जीवन काल के इतिहास को खंगाला।
सांसद चिराग पासवान आए
जमुई के खैरा प्रखंड, ग्राम फतेहपुर के निवासी खीरन मांझी की 10 वर्षीय पुत्री सीमा कुमारी के हौसले और जज्बे को हमारा सलाम है, एक पैर से दिव्यांग होते हुए भी सीमा रोजाना पैदल स्कूल का सफर तय करती है। सीमा के बारे मे जानकारी मिलने के बाद लोजपा (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह जमुई के सांसद चिराग पासवान ने सीमा से वीडियो कॉल पर बात की और उसकी हर संभव मदद किए जाने का निर्णय लिया है और साथ ही हर महीने सीमा की पढ़ाई का खर्चा अपने वेतन से देने का वादा किया।
इस दौरान चिराग पासवान ने सीमा को विश्वास दिलाया कि वह जल्द अपने दोनों पैरों पर खड़ी होकर स्कूल जा पाएगी। इस मामले पर चिराग पासवान जी का कहना है कि केवल सोनू और सीमा की मदद करने से काम नहीं चलने वाला क्योंकि बिहार में ना जाने ऐसे कितने ही बच्चे है जो रोजाना इस प्रकार की समस्याओं का सामना कर रहे है। इसलिए अगर वाकई में बिहार के सभी सोनू और सीमा की मदद करनी है तो बिहार सरकार को बेहतर शिक्षा नीति बनाने की जरूरत है, तभी बिहार के हर एक बच्चे की मदद कर पाना संभव है।