यस सर’ बोलकर स्कूल से निकलकर खेतों की ओर चले जाते हैं छात्र, बिहार के सुपौल के सरकारी विद्यालय का हाल
सरायगढ़ (सुपौल)। कोसी नदी की बाढ़ तथा कटाव से विस्थापित होकर पूर्वी तटबंध के किनारे तथा पश्चिमी गाइड बांध के बगल बसी आबादी के बच्चों को शिक्षा प्रदान करने के लिए स्थापित विद्यालयों में बच्चे इन दिनों हाजिरी बनाकर गेहूं की कटाई करने या मूंग तोडऩे चले जाते हैं। यह कहानी फसलों की कटाई के समय हर बार दोहराई जाती है।
वर्ष 2008 और 2010 में कोसी नदी के कहर से बलथरवा, बनैनियां, भुलिया, कटैया, भुलिया, नेहालपट्टी, इटहरी, सनपतहा, कवियाही, करहरी, तकिया, कोढ़ली पलार सहित अन्य गांव के लोग विस्थापित होकर पूर्वी तटबंध स्पर और कोसी महासेतु की सुरक्षा के लिए बने पूर्वी और पश्चिमी बांध के बगल में जा बसे।
उन लोगों के बच्चों को शिक्षा से जोड़े रखने के लिए सरकारी विद्यालयों को संबंधित गांव में स्थापित किया गया। जिस गांव के लोग जहां जाकर बसे वहां के विद्यालयों को वहीं चलाया जाने लगा। तब से अब तक कई विद्यालयों का संचालन तटबंध और गाइड बांध के किनारे हो रहा है। उन विद्यालयों में बच्चे हाजिरी बनाकर फसल कटाई करने चले जाते हैं।
मध्य विद्यालय बलथरबा 20 बच्चे उपस्थित
गुरुवार को मध्य विद्यालय बलथरबा में आन द स्पाट मुआयना के दौरान यह बातें सामने आई। विद्यालय में 105 छात्र-छात्राओं का नामांकन है जबकि 20 बच्चे मात्र उपस्थित मिले। पूछने पर प्रधान तथा शिक्षकों ने बताया कि वहां के कई बच्चे फसल कटाई करने चले गए हैं। शिक्षकों का कहना था कि स्पर तथा तटबंध पर जो आबादी बसी है उसमें अधिकांश परिवार के सदस्य बाहर कमाने के लिए चले गए हैं।
परिवार की माली हालात को देखते हुए विद्यालय में सातवीं तथा आठवीं कक्षा में नामांकित छात्र-छात्रा फसल कटाई के समय मजदूरी करते हैं। शिक्षकों ने बताया कि अभी गेहूं की कटाई चल रही है और इसलिए सातवीं और आठवीं कक्षा में या तो बच्चे आते ही नहीं और जब आते हैं तो हाजिरी बनाकर मजदूरी करने चले जाते हैं। प्रधान ने बताया कि बच्चे मजबूरी बताते हैं इसलिए छोड़ दिया जाता है। बताया कि बच्चे खेतों में मजदूरी कर अपने परिवार का खर्च ही चलाते हैं। फसल की कटाई समाप्त होते ही वे नियमित हो जाते हैं।
मध्य विद्यालय कटैया में भी नहीं रुकते बच्चे
मध्य विद्यालय कटैया के प्रधान ने भी बताया कि सातवीं और आठवीं कक्षा के छात्र और छात्रा फसल कटाई के समय विद्यालय छोड़ देते हैं। यदि आते भी हैं तो रुकते नहीं हैं। प्रधान ने कहा कि गरीबी के कारण ऐसे खेतों में काम करने चले जाते हैं। उधर संस्कृत विद्यालय बलथरबा मध्य विद्यालय बनैनिया सहित कोसी के कुछ अन्य विद्यालयों में भी इसी तरह की जानकारी दी गई। क्षेत्र के कई लोगों ने बताया कि धान की कटनी, धान की रोपाई, गेहूं की कटाई और मूंग तोडऩे के समय में बच्चे विद्याय से बाहर रहते हैं।