Sunday, November 24, 2024
Patna

पटना की ग्रेजुएट चाय वाली ने दुकान पर लिखा ‘पीना ही पड़ेगा’, जानिए वजह

पटना वीमेंस कॉलेज के आस-पास अगर आपको एक लड़की चाय का ठेला लगाए नजर आए तो हैरान मत होना. दरअसल, 24 वर्षीय प्रियंका गुप्ता कोई आम चाय वाली नहीं हैं, बल्कि एक ग्रेजुएट चाय बेचने वाली हैं.प्रियंका ने वाराणसी के महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ से अर्थशास्त्र में ग्रेजुएशन किया है. पूर्णिया की रहने वाली प्रियंका गुप्ता इन दिनों पटना वीमेंस कॉलेज के पास में ही एक चाय का ठेला लगाकर चाय बेचती हैं.

प्रतियोगी परीक्षा में नहीं मिली सफलता

इसकी वजह यह है कि प्रियंका पिछले 2 साल से लगातार प्रतियोगी परीक्षाएं दे रही हैं, जिसमें बैंक की प्रतियोगी परीक्षा भी शामिल है. लेकिन वह परीक्षा में पास होने में असफल रही हैं, इसलिए उन्होंने अपने घर लौटने के बदले पटना में ही चाय का ठेला लगाकर रोजी रोटी कमाने का प्लान किया.हाल ही में 11 अप्रैल को प्रियंका ने चाय बेचने का काम शुरू किया है. प्रियंका बताती हैं कि अर्थशास्त्र में ग्रेजुएट होने के बावजूद भी उन्हें पटना में चाय की दुकान लगाने में कोई झिझक नहीं होती. वह मानती हैं कि उनका यह काम भारत को आत्मनिर्भर बनाने की तरफ एक कदम है

कई क्वालिटी की चाय बेचती हैं प्रियंका

अगर आप प्रियंका की चाय की दुकान पर पहुंचेंगे तो आपको यहां विभिन्न किस्म की चाय मिल सकती है जैसे कि कुल्हड़ चाय, मसाला चाय, पान चाय और चॉकलेट चाय. खास बात यह है कि एक कप चाय की कीमत मात्र ₹15 से ₹20 है.

कॉलेज के स्टूडेंट्स ही प्रमुख ग्राहक

एक और खास बात ये है कि प्रियंका ने पटना वीमेंस कॉलेज के बाहर अपनी दुकान खोली है तो स्टूडेंट्स ही उनके प्रमुख ग्राहक हैं. प्रियंका अहमदाबाद में चाय की दुकान चलाने वाले प्रफुल्ल बिलोर को अपना आदर्श मानती हैं, जिन्होंने एमबीए करने के बावजूद चाय की दुकान की शुरुआत की और आज उनकी चाय की दुकान एक बड़े कारोबार में बदल चुकी है.

दुकान पर लिखीं ये पंचलाइन

अपने ग्राहकों को चाय की दुकान तक लाने के लिए प्रियंका भी प्रफुल्ल बिलोर के जैसे ही दिलचस्प पंचलाइन का इस्तेमाल किया है जैसे “पीना ही पड़ेगा” और “सोच मत…चालू कर दे बस”.

अहमदाबाद के प्रफुल्ल बिलोर को मानती हैं आदर्श

प्रियंका ने कहा कि मैं प्रफुल्ल बिलोर को अपना आदर्श मानती हूं. उनकी वीडियो देखकर मैं प्रेरणा लेती थी जिसके बाद मैंने पटना में चाय की दुकान लगाने का प्लान किया. 30 जनवरी को पूर्णिया से पटना आते वक्त उन्होंने अपने पिता से कहा कि वह पढ़ाई करने के लिए पटना जा रही हैं. इन दो महीनों के दौरान वह पटना की कई चाय की दुकानों पर गईं और यह समझने की कोशिश की कि चाय की दुकान का व्यापार आखिर कैसे चलता है?

प्रधानमंत्री मुद्रा लोन के तहत नहीं मिली मदद

प्रियंका बताती हैं कि जब उन्होंने ठान लिया कि वह अब पटना में चाय की दुकान की शुरुआत करेंगी तो इसके लिए उन्होंने कई बैंक से संपर्क किया ताकि उन्हें प्रधानमंत्री मुद्रा लोन स्कीम के तहत लोन मिल जाए. लेकिन किसी भी बैंक ने उनके इस व्यापार में दिलचस्पी नहीं दिखाई. जब बैंकों के चक्कर लगाने के बाद भी उन्हें लोन नहीं मिला तो आखिरकार 21 मार्च को उनके दोस्त राज भगत ने उन्हें चाय की दुकान शुरू करने के लिए 30 हजार रुपये दिए.प्रियंका के मुताबिक, दोस्त ने जो आर्थिक मदद की उसके बाद उन्होंने  ₹12500 में एक चाय का ठेला और अन्य सामग्री खरीदी. फिर 11 अप्रैल से पटना वीमेंस कॉलेज के पास चाय की दुकान की शुरुआत कर दी.प्रियंका बताती हैं कि जब उनको जानने वाले लोगों को पता चला कि वह पटना में एक चाय का ठेला लगाने जा रही हैं तो उनको कई तरह से हतोत्साहित करने की कोशिश की गई मगर वह अपने सपने को पूरा करने के लिए जी-जान से कोशिश कर रही हैं.

Kunal Gupta
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