बिहार में दो दिन बाद लू से मिल सकेगी राहत, प्रदेश के कई जिलों में आंधी-पानी की आशंका, जानें मौसम अपडेट
पटना. दक्षिणी, पश्चिमी और मध्य बिहार को लू (हीट वेव) से फिलहाल कोई खास राहत नहीं मिलेगी. पछुआ दक्षिणी बिहार में 20-30 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चल रही है. इस सीजन में पछुआ की यह सबसे तेज चाल है. यही वजह है कि हीट वेव और घातक होती जा रही है.इधर प्रदेश में सबसे अधिक तापमान 44.7 डिग्री सेल्सियस बक्सर में दर्ज किया गया. बांका में इससे कुछ ही कम 44.5 डिग्री सेल्सियस उच्चतम पारा रहा. इसके अलावा जमुई 43.3 , नवादा में 43.5 , वैशाली में 43.7 में पटना में 43, खगड़िया में 42, हरनौत नालंदा में 42.4, सबौर भागलपुर में 40.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया.
प्रदेश में आंधी-पानी की स्थिति
ये वे स्थान हैं जहां पारा सामान्य से पांच डिग्री से सात डिग्री अधिक तक दर्ज किया गया है. इसके अलावा अधिकतम तापमान गया और औरंगाबाद में 43 डिग्री सेल्सियस से अधिक पारा दर्ज किया गया है. पूरे प्रदेश में अधिकतम तापमान पांच डिग्री से कुछ कम पारा दर्ज किया गया है. शनिवार से इस क्षेत्र में लू से राहत मिलने का पूर्वानुमान जारी किया गया है. दरअसल शनिवार से इस क्षेत्र में पुरवैया बहनी शुरू हो जायेगी. विशेष रूप से आंधी-पानी की भी स्थिति बनेगी. इससे पारे कुछ दिनों के लिए गिरावट दर्ज होगी. हालांकि यह राहत अल्पकालिक ही होगी.
मौसम विभाग ने जारी किया अलर्ट
आइएमडी पूर्वानुमान के मुताबिक 30 अप्रैल से पश्चिमी और पूर्वी चंपारण, शिवहर,सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल,अररिया और किशनगंज में भी आंधी-पानी के आसार हैं. इससे पहले उत्तरी बिहार के कुछ जिले भी लू की चपेट में रहेंगे. हालांकि पिछले 24 घंटे की तुलना में प्रदेश में उच्चतम तापमान में और इजाफा हुआ है. हालांकि आसमान बिल्कुल साफ होने की वजह से न्यूनतम तापमान सामान्य से अभी एक से दो डिग्री सेल्सियस कम बना रहेगा.
बिजली की खपत बढ़ी, गांवों में लोडशेडिंग से बढ़ी परेशानी
पटना. सूबे में पड़ रही भीषण गर्मी का असर राज्य की बिजली आपूर्ति व्यवस्था पर पड़ने लगा है. उपलब्धता के अनुपात में खपत बढ़ने से आपूर्ति व्यवस्था गड़बड़ाने लगी है. मंगलवार को केंद्रीय कोटे से बिहार को मिलने वाली बिजली पूरी मिलने के बावजूद खपत अधिक होने से कंपनी ने 12 रुपये प्रति यूनिट की दर से बाजार से बिजली की खरीद की. बावजूद पूर्ति नहीं हो सकी. शहरी क्षेत्र में ही बिजली की खपत इतनी बढ़ गयी कि ग्रामीण इलाकों में लोडशेडिंग करनी पड़ी.