Friday, January 24, 2025
Muzaffarpur

बापू को बस याद करते, संजो नहीं पा रहे यादें, जान‍िए मुजफ्फरपुर में कौन सी है वो जगह

मुजफ्फरपुर। चंपारण यात्रा के लिए महात्मा गांधी ने 10 अप्रैल, 1917 की रात मुजफ्फरपुर की जमीन पर कदम रखे थे। चंपारण आंदोलन की रूपरेखा यहीं तैयार हुई थी। चार दिनों तक उनके यहां रहने के कई निशान हैं। हर वर्ष हम इस तिथि को याद तो करते हैं, मगर उनसे जुड़ी यादों को संजो नहीं पा रहे हैं। उनके विचार, मूल्यों और आदर्शों से वर्तमान पीढ़ी को रूबरू नहीं करा पा रहे हैं। बीआरए बिहार विश्वविद्यालय में ‘राष्ट्रपिता महात्मा गांधी चेयर’ की स्थापना अब तक नहीं हो सकी। तीन वर्ष पूर्व विवि के एकेडमिक काउंसिल समेत अन्य निकायों की बैठक में इस पर मुहर लग चुकी है, लेकिन अब तक इस दिशा में कुछ काम नहीं हुआ।

गांधी के सैद्धांतिक मूल्यों व आदर्शों का प्रसार था उद्देश्य

विश्वविद्यालय में गांधी चेयर की स्थापना के पीछे उद्देश्य था कि बापू के सैद्धांतिक मूल्यों व आदर्शों का संस्थानों के माध्यम से प्रचार-प्रसार हो। शोधार्थियों को गांधीजी से जुड़े अनछुए तथ्यों पर शोध के लिए प्रेरित किया जाए, लेकिन यह घोषणा से आगे नहीं बढ़ा। गांधीयन स्टडीज की पढ़ाई के लिए भी विवि व कालेज में व्यवस्था नहीं है, जबकि विश्वविद्यालय का परिसर गांधीजी को लेकर इस कारण भी प्रासंगिक है, क्योंकि चंपारण सत्याग्रह की शुरुआत के समय 10 अप्रैल, 1917 की रात वे एलएस कालेज परिसर में ही ठहरे थे। यहां उन्होंने स्नान किया था। उनकी याद में गांधी कूप को तो सहेजा गया है। गांधी पार्क की भी स्थापना की गई है, लेकिन उनके विचारों व आदर्शों के प्रसार की ओर प्रयास नहीं हो रहा।

नहीं पूरा हो सका गांधी चेयर का सपना

चंपारण सत्याग्रह शताब्दी समारोह में गांधीजी की भूमिका निभाने वाले एलएस कालेज के पूर्व प्राध्यापक डा. भोजनंदन प्रसाद स‍िंह कहते हैं कि बापू की पूजा की जानी चाहिए। यह अच्छी बात है, लेकिन उनके विचारों-सिद्धांतों का प्रचार-प्रसार व उन्हें जीना सच्ची श्रद्धांजलि होगी। नई पीढ़ी में गांधी को याद करने और उनके विचारों व मूल्यों को लेकर चलने की परंपरा कमजोर पड़ रही है। गांधी चेयर की स्थापना के लिए उन्होंने काफी प्रयास किया। उस समय के वर्तमान कुलपति से लेकर पदाधिकारियों से आग्रह किया। इसके बाद भी यह सपना पूरा नहीं हो सका। अब वे अपने स्तर से गांधी के विचारों को प्रचारित कर रहे हैं। समाज के बच्चों में गांधीजी के आदर्शों को बता रहे हैं।

Kunal Gupta
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