समस्तीपुर सदर अस्पताल में आइसीयू की व्यवस्था होने से गंभीर रोगियों को मिलेगा फायदा
समस्तीपुर। सदर अस्पताल में आईसीयू की सेवा नहीं रहने की वजह से क्रिटिकल मरीज रेफर कर दिये जाते हैं। क्रिटिकल मरीजों को सदर अस्पताल में सुविधा नहीं रहने की वजह से अत्यधिक मरीज किसी प्राइवेट अस्पताल का शरण लेते हैं, तो मरीज अस्पताल पहुंचते हैं उन्हें प्राथमिक उपचार के बाद बाहर रेफर कर दिया जाता है। सदर अस्पताल को जिला अस्पताल का दर्जा मिल गया है। लेकिन विडंबना यह है कि आज तक आईसीयू की व्यवस्था नहीं हो पायी है। आइसीयू नहीं होने के कारण सदर अस्पताल में गंभीर मरीजों का इलाज नहीं होता है। गंभीर मरीजों को इमरजेंसी वार्ड में लाया जाता है। लेकिन ऑन ड्यूटी डॉक्टर गंभीर मरीजों को डीएमसीएच या फिर पीएमसीएच रेफर कर देते हैं। बिहार सरकार के आम बजट में स्वास्थ्य के क्षेत्र में बदलाव को लेकर संकेत दिए हैं। इसको लेकर राज्य सरकार ने अपने बजट में स्वास्थ्य के क्षेत्र में 16.134 करोड़ का बजट पेश किया है। इसके साथ ही समस्तीपुर में आईसीयू के निर्माण होने की उम्मीद जगी है। आईसीयू की व्यवस्था होने से गंभीर रोगियों को काफी फायदा मिलेगा। सदर अस्पताल में सरकार ने पायलट प्रोजेक्ट के तहत इमरजेंसी वार्ड का कायाकल्प करने में जुटी है। ऐसी स्थिति में आईसीयू वार्ड की काफी जरुरत महसूस की जाती है।
वर्ष 2011 में किया गया था प्रयास
समस्तीपुर जिले में तत्कालीन डीएम कुंदन कुमार ने वर्ष 2011 में योगदान के बाद अस्पताल का कायाकल्प में अहम भूमिका निभायी। इस कड़ी में डायलिसिस सेंटर जैसी सुविधा को भी शुरु कराया गया। साथ ही आईसीयू के लिए भी प्रयास किया गया। इसको लेकर लाखों रुपए की लागत से भेंटीलेटर सहित कई आवश्यक उपस्कर की खरीद की गयी। लेकिन कुंदन कुमार के तबादले के साथ ही उक्त फाइल भी ठंडे बस्ते में चला गया। जिसके कारण लाखों का उपस्कर स्टोर में पड़ा बर्वाद हो रहा है।
पांच सौ बेड का बनेगा माडल अस्पताल
सदर अस्पताल में पांच सौ बेड का मॉडल अस्पताल का निर्माण किया जाएगा। दो माह पूर्व मुख्यमंत्री ने ऑन लाइन इसका शिलान्यास भी किया। लेकिन आज तक इस कड़ी में निर्माण कार्य शुरु नहीं हो पाया है। जबकि सौ बेड का मातृ शिशु अस्पताल (एमसीएच) के निर्माण की प्रक्रिया शुरु है। लेकिन पिछले एक वर्ष से निर्माण कार्य कच्छप गति से चल रही है।