Friday, November 29, 2024
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दिल्ली में छात्राएं बना रहीं पक्षियों के लिए आशियाना, बर्ड नेस्ट मेकिंग ड्राइव में देखा जा रहा उत्साह

नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय के अदिति महाविद्यालय में एक विशेष अभियान के तहत पक्षियों के लिए घाेंसला बनाने की शुरूआत की गई है। राष्ट्रीय सेवा योजना के तहत कालेज में ‘बर्ड नेस्ट मेकिंग ड्राइव’ चलाया गया है। इसके तहत कालेज की छात्राएं पक्षियों के लिए कालेज परिसर में ही घाेंसला लगाने का कार्य कर रही हैं। अलग अलग पेड़ों पर दर्जनों की संख्या में लगाया गये इन घोंसलों की मदद से पक्षियों को आश्रय देने का प्रयास किया गया है। बढ़ती हुई आबादी के बीच पक्षियों के आश्रय (रहने के स्थानों) पर नकारात्मक प्रभाव को ध्यान में रखते हुए इस अभियान की शुरुआत की गई है। पक्षियों के लिए प्यार से घर बनाने की इस पहल को लेकर छात्राओं में उत्साह है।

 

कालेज की प्रिंसिपल ममता शर्मा का कहना है कि दुनियाभर में शहरीकरण के बढ़ते हुए प्रभाव को देखते हुए यह अनुमान लगाया गया है कि 2050 तक लोगों की आबादी 66 फीसदी शहरी क्षेत्रों में होगी। ऐसे में आवासीय आवास में वृद्धि, व्यवसाय विकास और परिवहन संरचना के बीच पक्षियों और जीव-जंतुओं के निवास स्थान का नुकसान पहुंच रहा है। इसलिए इस प्रकार के अभियान से उन सभी जीवों को मदद मिलेगी।

 

उन्होंने कहा कि शहरी क्षेत्रों में आवास की कमी की वजह से पक्षियों की एक स्वस्थ आबादी गायब हो गई है। उनके गायब होने से उनकी पारिस्थितिक भूमिका भी समाप्त हो रही है। इसलिए यह जरूरी है कि प्रवासी पक्षियों को आश्रय देने के लिए घोंसले बनाने को लेकर इस अभियान का विस्तार किया जाए। इसी क्रम में कालेज की ओर से घोंसलों को स्थान देने के लिए कालेज परिसर के पेड़ों पर रखने की कोशिश की गई है। कम से कम एक घोंसला बनाना प्रकृति के लिए एक योग्य उपहार साबित होगा।

 

इस अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही कालेज में राष्ट्रीय सेवा योजना की कार्यक्रम अधिकारी डा. माली देवी सावरिया ने बताया कि सभी छात्राएं इसे लेकर काफी उत्साहित हैं। उन्होंने कहा कि कस्बों और शहरों में तेजी से बढ़ती आबादी के बीच ‘पक्षियों’ के रहने के स्थानों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। प्राकृतिक व ग्रामीण आवास के मुकाबले इमारतों और सड़कों के कंक्रीट वाले क्षेत्रों के साथ बगीचों, पार्कों और अन्य हरे-भरे स्थानों में शहरी पक्षियों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। वह शोर और वायु प्रदूषण से घिरे होते हैं। इन्हें संरक्षित करने और उपयुक्त आवास देने के उद्देश्य से राष्ट्रीय सेवा योजना की स्वयंसेविका प्रेरणा, रचना, अंजू, निकिता ने कदम बढ़ाए हैं और उन्हें सुरक्षित आशियाना देने का प्रयास किया है। कालेज कर्मचारी जमील खान ने भी इस अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

Kunal Gupta
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