पारदर्शिता नहीं बरतने वाले राज्यों को केंद्रीय सहायता में होगी दिक्कत : गिरिराज
समस्तीपुर। मनरेगा को कांग्रेस की विफलताओं का जीता जागता स्मारक बताने वाले केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार ने सात वर्षों के दौरान पांच लाख करोड़ खर्च किए। जबकि इसका ढोल बजाने वाली सरकारों का बजट ही 33 हजार करोड़ का था। उन सरकारों ने एक लाख 93 हजार करोड़ ही खर्च किए। उस समय एक लाख 15 हजार का एसेट था। आज केंद्र सरकार ने पांच लाख का एसेट तैयार किया। पहले महज 47 फीसद महिलाओं को काम मिलता था, आज 53 प्रतिशत महिलाओं को इससे जोड़ा गया है। केंद्र सरकार इन योजनाओं को पूरी पारदर्शिता से खर्च कर रही है। आज 99 फीसद लाभार्थी के खाते में उनका भुगतान हो रहा है। लेकिन महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत जो भी राज्य तकनीकी का इस्तेमाल नहीं करेंगे, जहां पारदर्शिता लागू नहीं होगी उन राज्यों को केंद्रीय मदद में दिक्कत होगी। राज्यों को हर हाल में डीबीटी लागू करना होगा। योजनाओं में पारदर्शिता लानी होगी। आने वाले समय में इस योजना के लिए जिला स्तर पर लोकपाल की नियुक्ति होगी। सोशल आडिट कराया जाएगा।
उन्होंने कहा कि 70 प्रतिशत आबादी के विकास की रूपरेखा हमारे ग्रामीण विकास विभाग से बन रही है। पहले मनरेगा भ्रष्टाचार का पर्याय बन गया था, लेकिन आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मनरेगा का पैसा डीबीटी के माध्यम से भेजना शुरू कर दिया है। मनरेगा को आधार से जोड़ा गया है। यूरिया के लिए पहले लाठियां चलती थीं, लेकिन मोदी के आने के बाद सप्लाई चेन को दुरुस्त कर दिया गया। 15 हजार करोड़ का भार सरकार ने अपने ऊपर लिया तथा किसानों को राहत दी। कांग्रेस के जमाने में कुछ मुट्ठीभर लोग इतराते रहे, लेकिन आज हम 1.50 लाख करोड़ प्रतिवर्ष छह हजार की दर से किसानों को सम्मान निधि योजना के तहत दे रहे हैं। केंद्रीय मंत्री कल्याणपुर के बालापुर में भाजपा किसान मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जगन्नाथ ठाकुर के आवास पर प्रधानमंत्री के मन की बात सुनने के बाद पत्रकारों से बात कर रहे थे। मौके पर प्रदेश महामंत्री सुशील चौधरी, मटिहानी के जदयू विधायक राजकुमार सिंह, किसान मोर्चा के प्रदेश मंत्री प्रो. अमरेंद्र कुमार, भाजपा जिलाध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा, पूर्व जिलाध्यक्ष रामसुमरन सिंह समेत दर्जनों कार्यकर्ता मौजूद रहे।