Monday, November 25, 2024
Patna

बिहार:बेड़ियों को तोड़ छू लिया आसमान, बिहार की इन महिलाओं ने लिखी सफलता की नयी कहानी

जूही स्मिता पटना: आज की नारी न तो अबला है और न ही कमजोर. अब महिलाओं के प्रति समाज की सोच भी बदली है. यह बदलाव उन महिलाओं की दृढ़ इच्छाशक्ति के बल पर आया है, जिन्होंने अपने हौसलों के बल पर मुश्किलों से लड़कर अपने रास्ते खुद बनाये हैं. यही कारण है कि ये महिलाएं आज नारी सशक्तीकरण की मिसाल बन चुकी हैं. आठ मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है. इससे पहले प्रभात खबर विभिन्न क्षेत्रों से जुड़ी उन महिलाओं की कहानियों से आपसे रूबरू करा रहा है, जिनके जुनून और जज्बे ने उन्हें हर परिस्थिति का सामना करने का हौसला दिया. ‘महिला दिवस विशेष’ की तीसरी कड़ी में पढ़िए विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में परचम लहराने वाली महिलाओं की कहानी.

 

 

जुनून ने मुझे दिलाया मुकाम: दुर्गा शक्ति

पुलिस उपाधीक्षक दुर्गा शक्ति कहती है कि शादी के बाद अक्सर महिलाओं की जिंदगी घरेलू कार्यों में सिमट जाती है. शादी हो जाने पर न केवल पढ़ाई बीच में छूट जाती है, बल्कि कई महिलाएं नौकरी तक छोड़ देती हैं. ऐसे में इनके कई सपने अधूरे रह जाते हैं, लेकिन इस मामले में बिहार की महिला दुर्गा शक्ति ने मिसाल पेश की है. गोपालगंज की रहने वाली दुर्गा शक्ति इस वक्त वैशाली जिला की पुलिस उपाधीक्षक के पद पर कार्यरत हैं. इन्होंने बताया कि वे पति के कहने पर बिहार लोक सेवा आयोग की 62वीं संयुक्त प्रवेश परीक्षा में हिस्सा लिया और पहली बार के प्रयास में कमाल कर दिखाया. फिजिकल फिटनेस को लेकर ज्यादा परेशानी नहीं आयी क्योंकि मैं स्कूल में बैडमिंटन प्लेयर नेशनल लेवल तक खेल चुकी थी. पुलिस सेवा में चयन होने बाद सिक्किम के राज्यपाल गंगा प्रसाद भी दुर्गा शक्ति को सम्मानित कर चुके हैं.

 

 

लक्ष्य साध कर की मेहनत, पायी सफलता : शिखा मशी

चार्टर्ड अकाउंटेंट शिखा मशी कहती है कि यदि खुद में जज्बा व लगन हो तो आप जिंदगी की तमाम चुनौतियों को मात देकर सफल हो सकती हैं. मेरी शादी होने के तुरंत बाद मुझे मेरा पहला बेबी हुआ और इसके बाद दूसरा बेबी. मेरे पति भी सीए हैं. घर परिवार की जिम्मेदारियों को निभाते हुए मैंने अपनी पढ़ाई जारी रखी. रात का समय मेरे लिए काफी सहूलियत वाला होता था. मैं उसी वक्त अपनी पढ़ाई करती थी. इसी बीच मैंने दिल्ली में कोचिंग ज्वाइन किया. सुबह से शाम तक कोचिंग करती और फिर बच्चों को समय देती. आज मैं एआइपीसी बिहार में सेक्रेटरी के पद पर कार्यरत हूं. परिवार के सहयोग के बिना यह मुकाम मिलना आसान न था. कड़ीमेहनत, एकाग्रता पूर्ण निष्ठा से किए गए कार्यों के द्वारा जीवन में सबसे ऊंची मंजिल पर पहुंचा जा सकता है.

 

पिता का सपना था कि मैं देश की सेवा करूं: रूबी कुमारी

समस्तीपुर की रहनेवाली रूबी कुमारी कहती है कि इस वक्त जमुई में बिहार पुलिस सब इंस्पेक्टर के पद पर कार्यरत हैं. उनकी शादी 2011 में हुई और उनके पति एक सोशल वर्कर हैं. अभी उनकी बेटी आठ साल और बेटा पांच साल का है. वे बताती हैं कि उनके पिता के साथ उनके ससुराल वाले भी चाहते थे कि मैं प्रशासनिक सेवा की परीक्षा क्रैक कर देश की सेवा करूं. रूबी कहती हैं, फिजिकल फिटनेस के लिए मेरे पति मुझे सुबह तीन बजे स्टेडियम पहुंचा देते थे, जहां मैं प्रैक्टिस किया करती थी.

 

प्रखंड शिक्षिका से बन गयीं लेक्चरर: डॉ मीरा पाल

पुनपुन प्रखंड की उत्क्रमित माध्यमिक विद्यालय, कल्याणपुर में सामाजिक विज्ञान की प्रखंड शिक्षिका डॉ मीरा पाल हाल ही में हुई बिहार लोक सेवा आयोग की ओर से आयोजित सीमित प्रतियोगिता परीक्षा में सरकारी शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय में व्याख्याता पद के लिए अंतिम रूप से चयनित हुई हैं. डॉ मीरा पाल ने नालंदा खुला विवि से इतिहास में एमए और एमएड इग्नू से तथा मगध विवि से पीएचडी की डिग्री हासिल की है. वे बताती हैं कि पिता के निधन के बाद वे अपने भाई के साथ नानी के पास रहीं. यहां उन्होंने बच्चों को ट्यूशन पढ़ाया. साल 2000 में उनकी शादी हुई. दो बच्चे हुए. बच्चे व परिवार की जिम्मेदारियों में इस कदर उलझी की खुद पर कभी ध्यान नहीं गया. फिर साल 2005 में पति के कहने पर मैंने बीपीएससी की तैयारी शुरू की और सफल हुई.

 

सफलता की लिखी नयी कहानी: भवानी झा

मधुबनी की रहने वाली भवानी झा को 2019 में बिहार पुलिस में सब इंस्पेक्टर के लिए चयनित किया गया. इनकी पोस्टिंग पत्रकार नगर थाना में हुई है. आठ मार्च से उनकी ट्रेनिंग राजगीर में शुरू होगी. भवानी बताती हैं कि उनके परिवार वाले चाहते थे कि वे पढ़ कर बेहतर नौकरी करें लेकिन उनकी कभी ऐसी कोई इच्छा नहीं थी कि वे पुलिस ज्वाइन करे. शादी हुई और बेटा हुआ. फिर उन्हें लगा कि जिंदगी में कुछ कमी है. इसी वजह से उन्होंने 2018 में कमर्शियल टैक्स विभाग में कंप्यूटर ऑपरेटर के तौर पर ज्वाइन किया. वहां जब उन्होंने ऑफिसर ग्रेड के लोगों को वर्दी में देखा तो लगा कि मैं भी कुछ ऐसा कर सकती हूं, ताकि इस वर्दी की मैं भी हकदार बनूं. फिर क्या था, एग्जाम की तैयारी की, ट्रेनिंग ली और साल 2019 में बीपीएससी में चयनित हुईं.

Kunal Gupta
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