प्रेमी-प्रेमिकाओं के लिए वरदान है बिहार सरकार की ये योजना, फिर क्यों नहीं उठा रहे लाभ
पटना: कहते हैं प्रेम किसी से भी हो सकता है। प्रेम जाति नहीं देखता। लेकिन इस प्रेम को मुकम्मल करने के लिए अक्सर जातिगत बेड़ियां कदम रोक देती हैं। लोग क्या कहेंगे? हाय, दूसरी जाति में विवाह! ये वो, ना जाने क्या-क्या। यही सब सोचकर आज इंटरकास्ट शादी कम ही देखने को मिलती हैं। बिहार सरकार ने समाज में जातीय बंधन तोड़ने के लिए ही बिहार अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना शुरू की थी। लेकिन यहां भी लोकलाज के डर से युवा इस योजना की ओर कम ही आकर्षित हो रहे हैं। आंकड़े कुछ ऐसा ही बयां कर रहे हैं।
इस योजना के तहत सरकार अलग-अलग जाति-धर्मों के जोड़ों के विवाह सूत्र में बंधने पर एक से तीन लाख रुपए तक प्रोत्साहन राशि देती है। लेकिन इस योजना का लाभ लेने में युवा पीछे हैं। या फिर ऐसा भी कहा जा सकता है कि बिहार में अंतरजातिय विवाह हो ही नहीं रहे।
लखीसराय जिले के आंकड़े
लाखों की आबादी वाले लखीसराय जिले में अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन राशि के लिए अब तक कुल 15 नवविवाहितों को प्रति नवविवाहित एक-एक लाख रुपये प्रोत्साहन राशि मिली है। 12 नवविवाहित के आवेदन का निष्पादन नहीं होने के कारण प्रोत्साहन राशि नहीं मिल पाई है। वर्ष 2021 में 12 नवविवाहितों ने आवेदन दिया, जिसमें से पांच को प्रोत्साहन राशि मिली। सात आवेदन लंबित है। वर्ष 2022 के पांच आवेदन लंबित हैं।
जमुई में तीन साल में महज 13 आवेदन
बात बिहार के जमुई जिले की करें तो सामाजिक सुरक्षा कोषांग के सहायक निदेशक सूरज कुमार ने बताया कि वर्ष 2019-22 तक 13 आवेदन आए जिसमें सभी निष्पादित किया गया है।
पूर्णिया जिले में योजना के हाल
पूर्णिया जिले में बिहार सरकार की इस योजना के तहत गत वर्ष 2021 में महज 3 आवेदन ही प्राप्त हुए।
योजना के बारे में
बिहार अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना को बिहार सरकार ने शुरू किया। इसका एक दूसरा नाम भी है।डॉक्टर अंबेडकर स्कीम फॉर सोशल इंटीग्रेशन थ्रू इंटर कास्ट मैरिज है। योजना के तहत नवविवाहितों को तीन लाख रुपये तक की प्रोत्साहन राशि दी जाती है।
योजना का लाभ वहीं उठा सकते है जिन्होनें अंतरजातीय विवाह किया हो। लाभार्थी को कुल 2.50 लाख रूपये की प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाती है। इस योजना का लाभ उठाने के लिए आवेदक को प्री स्टांपेड रिसिप्ट जमा करवाना अनिवार्य है। इस योजना में सबसे पहले आवेदक को 1.50 लाख की प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाती है। इस राशि को आरटीजीएस या एनईएफटी के द्वारा खातें में जमा की जाएगी। बाकी के एक लाख रूपये की एफडी तीन साल के लिए कर दी जाती है जिसे तीन साल के बाद आवेदक को ब्याज के साथ वह प्रोत्साहन राशि प्राप्त कर सकता है। पहले ये योजना दो साल के लिए लागू की गई थी लेकिन अब ये योजना हर साल आती है।
इस योजना के लिए आफलाइन और आनलाइन दोनों तरह से आवेदन किया जा सकता है। योजना के लिए जरूरी दस्तावेजों में बिहार का निवास प्रमाण पत्र, शादी की फोटो, शादी का कार्ड, आयु प्रमाण पत्र, पासपोर्ट साइज फोटो, पहचान प्रमाण पत्र आदि की आवश्यकता प्राथमिकता के साथ होती है। शर्त ये भी है कि विवाह हिन्दू मैरिज एक्ट 1955 के अन्तर्गत विवाह रजिस्टर्ड होना चाहिए।