पिस्टल लेकर चलता था बिहार का यह राबिनहुड साधु, रिक्शा चलाते गया रेडलाइट एरिया,कई रोचक किस्से जानिए गुप्तेश्वर पांडेय के
पटना। बिहार का एक साधु कभी पिस्टल लेकर चलता था। एक बार रिक्शा चलाते हुए रेडलाइट एरिया भी चला गया था। चौंक गए तो एक बात और भी जान लीजिए। लोगों ने कभी इस साधु को ‘बिहार का राबिन हुड’ बताया था। कौन हैं ये, इसकी पहेली सुलझाते हुए चलिए हम बता हीं देते हैं कि यह किसी डॉन, माफिया या महर्षि वाल्मीकि जैसे व्यक्ति की कहानी नहीं, हम बात कर रहे हैं राज्य के पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) गुप्तेश्वर पांडेय की।
इन दिनों बक्सर के अपने गांव में हैं पूर्व डीजीपी
साल 1987 बैच के आइपीएस अधिकारी रहे गुप्तेश्वर पांडेय ने 22 सितंबर 2020 को डीजीपी के पद से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर राजनीति में एंट्री की कोशिश की, लेकिन नाकामयाब रहे। इसके बाद उन्होंने अध्यात्म की राह पकड़ ली। अब वे साधु हो गए हैं। देश भर में घूम-घूम कर प्रवचन देते हैं। इन दिनों वे बक्सर जिले के अपने गांव गेरूआ में हैं। इसी गांव में वे पले-बढ़े हैं।
एलबम में बताया गया बिहार का राबिनहुड
पहले राबिनहुड वाली बात पर आते हैं। 22 सितंबर 2020 को डीजीपी के पद से इस्तीफा के बाद गुप्तेश्वर पांडेय का यू-ट्यूब पर एक एलबम ‘राबिन हुड बिहार के’ लांच हुआ था। उनका गुणगान करते इस एलबम के सिंगर, लैरिस्ट और कंपोजर तीनों बिग बास-12 के प्रतिभागी रहे दीपक ठाकुर थे। एलबम के गीत की इन लाइनों पर गौर कीजिए- राबिनहुड पधारे हैं इलाका धुंआ, धुंआ होगा…, ये हत्यारे को रख देते हैं फाड़ के…। वीडियो में गुप्तेश्वर पांडेय को वर्दी में दबंग स्टाइल में दिखाते हुए बताया गया है कि माफिया व अपराधी उनसे खौफ खाते थे। एलबम का अंत गोलियों की तड़तड़ाहट के साथ होता है।
रिक्शा चालक बनकर गए थे रेडलाइट एरिया
अब जानिए गुप्तेश्वर पांडेय से जुड़ा एक ऐसा किस्सा, जो कम लोग ही जानते होंगे। जब वे बतौर डीआइजी मुजफ्फरपुर में पदस्थापित थे, उन्होंने वहां के रेडलाइट इलाके में देह-व्यापार के धंधे को चलाने वालों पर कानून का डंडा जमकर चलाया था। इसी क्रम में एक बार उन्होंने एक पत्रकार को रिक्शे पर बैठाया और खुद रिक्शा चालक बन रेडलाइट इलाके की गलियों का जायजा लेने निकल पड़े थे।
सुशांत सिंह राजपूत के मामले में हुई थी चर्चा
गुप्तेश्वर पांडेय के सेवाकाल के अंतिम दौर में बालीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मुंबई में मौत का मामला गरमाया था। सुशांत के पिता ने बेटे की मौत को लेकर पटना में एफआइआर दर्ज करा दी। इसके बाद जांच के लिए मुंबई पहुंची बिहार पुलिस की टीम को वहां महाराष्ट्र पुलिस के असहयोग का सामना करना पड़ा। तब गुप्तेश्वर पांडेय बिहार पुलिस की जांच को लेकर महाराष्ट्र सरकार की आंखों की किरकिरी बन गए थे। उनपर राजनीति से प्रेरित होकर कार्रवाई का आरोप भी लगा था। बाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश से सीबीआइ के पास मामला जाने के बाद इस विवाद पर विराम लग गया।
राजनीति में एंट्री के लिए दिया पद से इस्तीफा
गुप्तेश्वर पांडेय के डीजीपी के पद से इस्तीफा देने के बाद उनके जनता दल यूनाइटेड के टिकट पर बिहार विधानसभा का चुनाव लड़ने की चर्चा हुई थी। राजनीति में एंट्री की बात को उन्होंने खुद भी स्वीकार किया था। लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिल सका।
अब साधु बन घूम-घूमकर देते रहते हैं प्रवचन
राजनीति से निराशा हाथ लगने के बाद गुप्तेश्वर पांडेय अध्यात्म की राह पर चल पड़े। अब वे साधु बनकर ईश्वर भक्ति में लीन हैं। वे जगह-जगह प्रवचन देते रहते हैं।