पटना एयरपोर्ट की रैंकिंग में आया जबरदस्त सुधार, सड़क नेटवर्क के मामले में देश में दसवें स्थान पर बिहार।
पटना।बिहार आर्थिक सर्वे की रिपोर्ट अनुसार राज्य में परिवहन सेवाओं में निरन्तर सुधार दिख रहा है। दरसल पटना एयरपोर्ट की रैंकिंग में जबरदस्त सुधार आया है, वहीं सड़कों की स्थिति भी बदल रही है। 2020-21 में पटना एयरपोर्ट की सेवा गुणवत्ता रेटिंग 3.72 थी जिस कारण उसका स्थान विश्व के सर्वश्रेष्ठ हवाईअड्डों में 333 था। अप्रैल-जून, 2021 में गुणवत्ता रेटिंग 4.48 हो गई जिस कारण 107 स्थान पर पहुंच गया। इसके बाद जुलाई-सितंबर, 2021 में रेटिंग सुधरकर 4.54 हो गई जिससे रैकिंग 86 हो गई है।
पटना एयरपोर्ट से आवागमन पर कोरोना का असर रहा। 2019-20 की तुलना में 2020-21 में उड़ानों और यात्रियों की संख्या में कमी दर्ज की गई। 2020-21 में 23 हजार 579 विमानों का आवागमन हुआ, जबकि एक वर्ष पूर्व 35 हजार 145 विमानों का आवागमन हुआ था।
यात्रियों की संख्या 27 लाख से भी ज्यादा रही, जबकि पिछले वर्ष यह 45.24 लाख थी। इस दौरान 11.74 हजार टन माल ढुलाई भी की गई, वहीं पिछले वर्ष यह 12.25 लाख थी। वर्ष 2018 की एक रिपोर्ट के हवाले से शुक्रवार को विधानमंडल में पेश हुए बिहार के आर्थिक सर्वेक्षण में यह बात कही गई है कि सड़क नेटवर्क के मामले में देश में बिहार का स्थान दसवां है। वर्ष 2018 तक भारत में 62.16 लाख किमी सड़क का नेटवर्क था और बिहार में 1.64 लाख किमी पक्की सड़क का नेटवर्क। पथ घनत्व की बात करें तो 2018 में बिहार में प्रति हजार वर्ग किमी के भौगोलिक क्षेत्रफल पर 3,086 किमी का पथ घनत्व था। इस मामले में सम्पूर्ण देश में बिहार तीसरे पायदान पर था।
केरल में यह घनत्व 6,617 किमी वहीं बंगाल में 3,708 किमी था। राष्ट्रीय स्तर पर यह औसत 1,617 किमी प्रति वर्ग किमी का है। बिहार में 70 फीसदी राज्य उच्चपथों को विगत डेढ़ दशकों में दो लेन में तब्दील किया गया है। इसके बावजूद भी अभी 39.2 फीसदी मुुख्य जिला पथ एक लेन वाले हैं। सात निश्चय-2 के सुलभ संपर्कता कार्यक्रम के तहत इन पथों की चौड़ाई में वृद्धि करने की योजना है।
जहां राष्ट्रीय उच्च पथों के विकास की बात है उसके अनुसार 2005-06 में इस पर 79 करोड़ लागत था। वर्ष 2020-21 में यह बढ़कर 1,930 करोड़ रुपए हो गया। हालांकि राष्ट्रीय उच्च पथों के रख रखाव में बहुत ही मामूली वृद्धि है। वर्ष 2005-06 में यह 40 करोड़ था जो 2020-21 में बढ़कर 92 करोड़ पर पहुंच गया। यह देश के कुल व्यय का 3 प्रतिशत से भी कम था।”