काशी विश्वनाथ व उज्जैन महाकाल जैसे बनेंगे बिहार के मंदिर,राज्य धार्मिक न्याय पर्षद ने किया पूरी प्लानिंग ।
मुजफ्फरपुर। राज्य में मठ-मंदिरों के पास करोड़ों की संपत्ति होने के बाद भी इसका सही प्रबंधन नहीं हो पा रहा है। यही कारण है कि बड़ी संपत्ति होने के बाद भी मठ-मंदिरों की स्थिति बदहाल है। बिहार राज्य धार्मिक न्याय पर्षद इसमें बदलाव की तैयारी कर रहा है। दूसरे राज्यों के बड़े मठ-मंदिरों की प्रबंधन व्यवस्था को अपनाने की पहल की गई है। पिछली बैठक में यह तय हुआ कि पर्षद के अध्यक्ष एवं सदस्यगण यूपी, मध्यप्रदेश समेत अन्य राज्यों के बड़े मंदिरों के प्रबंधन को जानेंगे। वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर, उज्जैन का महाकाल मंदिर, अयोध्या के श्रीराम मंदिर आदि के प्रबंधन से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी लेंगे। इसके आधार पर राज्य के मठ-मंदिरों का भी प्रबंधन किया जाएगा।
करोड़ों की जमीन से राजस्व प्राप्त हो
मालूम हो कि राज्य के मठ-मंदिरों की हालत बदलने के लिए उसकी जमीन को कब्जे से मुक्त कराने की कार्रवाई चल रही है। सभी जिले में पैमाइश के साथ गलत तरीके से बेची गई मठ-मंदिर की जमीन के दस्तावेज रद कराए जा रहे हैं। राज्य के विधि एवं गन्ना उद्योग मंत्री प्रमोद कुमार की पहल पर यह हो रहा है। धार्मिक न्यास पर्षद की यह सोच है कि बड़े मठ-मंदिरों की करोड़ों की जमीन से राजस्व प्राप्त हो। इस राशि से जन कल्याण के कार्य किए जाएं। कुशल प्रबंधन से ही यह संभव होगा। पर्षद की बैठक की जानकारी राज्य के सभी डीएम को भेजी गई है।
बाबा गरीबनाथ मंदिर न्यास समाज कल्याण में आगे
जिले में बाबा गरीबनाथ न्यास सेवा समिति समाज कल्याण के लिए कार्य करती है। समिति की ओर से बुजुर्गों के लिए डे केयर सेंटर संचालित होता है। गरीबों के बीच कंबल व अन्य जरूरी सामग्री का वितरण समय-समय पर किया जाता है। होम्योपैथिक व आयुर्वेदिक का ओपीडी नियमित संचालित होता है। जरूरतमंदों को मामूली शुल्क लेकर बाबा गरीबनाथ धर्मशाला मुहैया कराया जाता है। वहीं खाद बनाने के लिए बाबा गरीबनाथ मंदिर से बेलपत्र को कृषि विश्वविद्यालय पूसा भेजा जाता है।