Tuesday, November 26, 2024
MuzaffarpurPatna

Budget 2022 कई रेल परियोजनाएं शुरू नहीं होने की वजह से लोगों में निराशा,बेपटरी हुई उत्तर बिहार की रेल परियोजनाएं ।

मुजफ्फरपुर, [अजय पांडेय]। फंड की कमी और जमीन के पेच में उत्तर बिहार की दो दर्जन से अधिक रेल परियोजनाएं बेपटरी हैं। ये 40 से 45 वर्षों में एक-दो पायदान से ऊपर नहीं चढ़ सकीं। कुछ तो घोषणाओं से आगे ही नहीं बढ़ पाईं। शुरुआती वर्षों में इनकी चर्चा होती रही। लोग हरी झंडी का इंतजार करते रहे। एक-दो वर्षों में कुछ नहीं हुआ तो उम्मीदें भी खत्म हो गईं। नतीजतन इन इलाकों की अच्छी-खासी आबादी रेल नेटवर्क से दूर है। इसी उपेक्षा में शिवहर आज तक रेलमार्ग से नहीं जुड़ पाया।

भूमि अधिग्रहण में उलझी लाइन

पश्चिम चंपारण के बगहा के तीन प्रखंड मधुबनी, पिपरासी और भितहां के लोग वर्ष 2009 से रेललाइन का इंतजार कर रहे हैं। वाल्मीकिनगर से जुड़ाव वाली उत्तर प्रदेश के छितौनी व तमकुहीरोड की 36 किमी लंबी रेल परियोजना पर महज तीन किमी काम हुआ है। उस समय यह योजना 600 करोड़ की थी। बिहार की ओर से भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। उत्तर प्रदेश से मामला फंसा है। पूर्वी चंपारण के पकड़ीदयाल व सिकरहना की करीब 20 लाख से अधिक की आबादी वर्षों से ट्रेन की आस में है। कभी इस रूट पर ट्रेन चलाने की बात थी, बाद में मोतिहारी से पकड़ीदयाल-फेनहारा-शिवहर होकर सीतामढ़ी की जगह मोतिहारी-ढाका-शिवहर रूट की चर्चा होने लगी। यह भी खटाई में है।

शिवहर में ट्रेन सपनों की सवारी

शिवहर को सीतामढ़ी और मोतिहारी से जोडऩे के लिए मोतिहारी-शिवहर-सीतामढ़ी रेललाइन की स्वीकृति वर्ष 1997 में मिली थी। लाइन के लिए 100 करोड़ से भूमि अधिग्रहण करना था, लेकिन महज 17 करोड़ रुपये उपलब्ध कराए गए। स्थानीय अधिकारियों ने एकमुश्त राशि की मांग की। बात नहीं बनने पर उसे भी वापस कर दिया। भूमि और फंड के पेच में योजना सर्वे तक सिमट गई। जिले के लोगों के लिए ट्रेन आज भी सपनों की सवारी है। उधर, शिवहर-परसौनी-बेलसंड-रून्नीसैदपुर के बीच भी रेललाइन की मांग उठी थी। वर्ष 2018 में रेल मंत्रालय को मांग पत्र सौंपा गया था, पर बात नहीं बनी। मुजफ्फरपुर में चार अंडरपास निर्माण नहीं हो सका। इस बार बजट में फंड मिलने की उम्मीद है। वहीं छपरा से वाया मड़वन-मुजफ्फरपुर नई रेललाइन परियोजना का काम 15 वर्षों से अधर में। इसमें मड़वन तक भूमि अधिग्रहण का काम हो चुका है। वहीं मुजफ्फरपुर-दरभंगा नई रेललाइन पर भी ध्यान नहीं दिया गया है।

मिथिलांचल में योजनाओं को नहीं मिला आधार

188 किमी लंबा सीतामढ़ी-निर्मली रेलखंड वाया बथनाहा, सोनबरसा, परिहार, सुरसंड, भिठ्ठामोड़ व जयनगर प्रोजेक्ट भी 2008 में शिलान्यास से आगे नहीं बढ़ पाया। 45 किमी के सीतामढ़ी-जनकपुर धाम (नेपाल) वाया बथनाहा रूट भी वर्ष 2017 में चर्चा में आया था, फिलहाल यह ठंडे बस्ते में है। लगभग 48 किमी लंबे मधुबनी-बेनीपट्टी-पुपरी रेलखंड की मांग वर्षों से उठती रही है। पूर्व रेल मंत्री ललित नारायण मिश्र ने इस रेलखंड के निर्माण की घोषणा की थी। 1997-98 के रेल बजट में सर्वेक्षण के लिए स्वीकृति प्रदान की गई, उसके बाद के वर्षों में कोई पहल नहीं हुई। करीब 60 किमी कर्पूरीग्राम-ताजपुर-महुआ-भगवानपुर रूट लोग भूल चुके हैं। ललित नारायण मिश्र के समय में ही यह प्रस्ताव आया था। रामविलास पासवान व लालू प्रसाद के समय में सर्वेक्षण कर कुछ जगहों पर पिलर भी गाड़े गए। वे अब नहीं दिखते हैं। फंड भी रुकावट बन गया।

Kunal Gupta
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