बेरोजगारी दर के मामले में दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल, जम्मू-कश्मीर से बेहतर है बिहार की स्थिति
पटना: तीन महीने बाद बेरोजगारी दर में गिरावट दर्ज की गई है। सेंटर फार मानिटरिंग इंडियन इकोनामी की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक जनवरी महीने में बिहार में बेरोजगारी दर 13.3 प्रतिशत रही। यह दिसंबर 2021 की तुलना में 2.7 प्रतिशत कम है। उस महीने बेरोजगारी दर 16 प्रतिशत थी। 2021 में अप्रैल के बाद बेरोजगारी दर में लगातार इजाफा हो रहा था। साल के अंतिम महीने में यह 16 प्रतिशत पर पहुंच गई थी। यह पिछले साल का उच्चतम स्तर था। अन्य राज्यों से तुलना करें तो इस मोर्चे पर बिहार की हालत दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, राजस्थान और त्रिपुरा से बेहतर है। इन राज्यों में जनवरी में बिहार की तुलना में अधिक बेरोजगारी रही। 23. 4 प्रतिशत के साथ हरियाणा शीर्ष पर रहा। राजस्थान में यह दर 18.9 प्रतिशत रही। देश में इसे दूसरा स्थान मिला।
झारखंड की हालत अच्छी
रोजगार सृजन के मामले में पड़ोसी झारखंड की स्थिति अधिक बेहतर मानी जा सकती है। दिसंबर 2021 में बेरोजगारी दर 17.1 प्रतिशत थी। यह जनवरी में घटकर 8.9 प्रतिशत पर आ गई है। अगर अक्टूबर 2021 से तुलना करें तो बेरोजगारी दर में गिरावट आधी से भी अधिक है। अक्टूबर में झारखंड में बेरोजगारी दी 18. 1 प्रतिशत रिकार्ड किया गया था। यह पिछले साल का अधिकतम रिकार्ड था। ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि आवास निर्माण में आई तेजी से रोजगार के अवसर बढ़े हैं। आने वाले दिनों में स्थिति में और बेहतर होगी।
क्यों हुआ सुधार
बिहार के संदर्भ में दो ऐसे पहलू हैं, जिनसे असंगठित क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर सृजित हो पाए। पहला-बालू उत्खनन की इजाजत मिलने के बाद इसकी कमी बहुत हद तक दूर हो गई। सरकारी और निजी क्षेत्र में निर्माण गतिविधियां बढ़ी। इससे रोज कमाने-खाने वाले वर्ग को काम मिला। दूसरा-मनरेगा की बकाए मजदूरी का भुगतान किया गया। सामान मद की राशि भी दी गई। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में श्रमिकों को काम मिला। कोरोना की तीसरी लहर की पाबंदियां पहले और दूसरे दौर की तुलना में ढीली हैं। इसके कारण भी कामकाज पर कम असर पड़ा।