स्टूडेंट्स के बड़े आंदोलन खत्म,आंदोलन कमजोर होने के 3 फैक्टर,पॉलिटिकल एंट्री,गार्जियन का दखल और स्टूडेंट्स का बैक होना ।
पटना।24 जनवरी को शुरू हुए स्टूडेंट्स के आंदोलन की आग 12 घंटे में ठंडी पड़ गई। गुरुवार की शाम तक आंदोलन का रुख आक्रामक होता दिखाई दे रहा था, लेकिन शुक्रवार की सुबह पूरा माहौल ही बदल गया। सुबह राजनीतिक दलों की एंट्री तो हुई लेकिन स्टूडेंट्स पीछे हट गए। जानिए 4 दिनों से आक्रोश की आग में जल रहे बिहार के आक्रोशित स्टूडेंट्स की आग के ठंडा पड़ने की कहानी।
पटना से सुलगी थी आक्रोश की आग
स्टूडेंट्स के आक्रोश को आंदोलन के लिए पटना में ही तैयार किया गया था। कई दिनों से अंदर ही अंदर आग सुलग रही थी। पटना के कोचिंग से आंदोलन के लिए पूरी प्लानिंग चल रही थी। स्टूडेंट्स पटना से लेकर अलग अलग जिलों में आंदोलन के लिए लामबंद हो रहे थे। आंदोलन के लिए 24 जनवरी का डेटा और समय सब पक्का किया गया और निशाना बनाया गया राजेंद्र नगर टर्मिनल रेलवे स्टेशन। पटना से तैयार की गई आंदोलन की रणनीति सफल रही और राजधानी के साथ ही राज्य के अलग-अलग जिलों में आक्रोश की चिंगारी भड़क गई। गया में रेल की बोगी को कई किस्तों में आग के हवाले करने से लेकर हर तरह का तांडव किया गया। देखते ही देखते बिहार नेशनल न्यूज में छा गया।
शुक्रवार को बंदी के बावजूद सड़क पर नहीं उतरे छात्र।
सोशल मीडिया की प्लानिंग ने बढ़ाया आक्रोश
स्टूडेंट्स के आंदोलन की आग सोशल मीडिया से तैयार की गई थी। आंदोलन का पूरा मूवमेंट सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफार्म से तैयार किया गया जिसका स्टूडेंट्स पर बड़ा असर पड़ा। एक साथ पूरे राज्य ही नहीं देश में भी आंदोलन का माहौल तैयार कर दिया गया। हालांकि इस मामले की जड़ तक पहुंचना भी सोशल मीडिया के जरिए खंगालना आसान हो गया। पटना के राजेंद्र नगर टर्मिनल पर स्टूडेंट्स का उबाल देख हालात बेकाबू होने का अंदाजा लगाया जा रहा था और 4 दिनों में ऐसा ही हुआ। रेलवे को निशाना बनाने के साथ सरकार पर दबाव बनाने के लिए स्टूडेंट्स ने आंदोलन का इतिहास बना दिया।
सरकार के लिए स्टूडेंट्स का आंदोलन बड़ी चुनौती
बिहार में स्टूडेंट्स का आंदोलन सरकार के लिए बड़ी चुनौती बन गया था। मामला स्टूडेंट्स से जुड़ा था इसलिए एक्शन के बजाए सरकार ने भी काफी प्लानिंग से काम किया। पटना प्रशासन ने ऐसी रणनीति बनाई जिससे पुलिस के खिलाफ छात्रों और कोचिंग संचालकों का गुस्सा शांत हुआ और इतना उग्र आंदोलन शांत पड़ गया। हालांकि 24 जनवरी की घटना के बाद से पुलिस के खिलाफ स्टूडेंट्स में काफी आक्रोश था और आंदोलन के उग्र होने का कारण भी इसे ही माना जा रहा था। लेकिन जब राज्य के अलग-अलग जिलों में आंदोलन की आग से कानून व्यवस्था पर खतरा बढ़ा तो पटना में आंदोलन पर पूर्ण विराम लगाने के लिए प्रशासन ने अपना फंडा अपनाया। जानिए कैसे काम किया पूरा सिस्टम।
आक्रोश की आग की शांति के फैक्टर
पहले सख्ती फिर नरमी से बनाया शांति का रास्ता
24 जनवरी को स्टूडेंट्स के आंदोलन को लेकर प्रशासन को भी अंदाजा नहीं था कि आने वाले दिनों में इतना उग्र होने वाला है। इस कारण से पहले प्रशासन ने सख्ती दिखाई और 4 स्टूडेंट्स को पहले ही दिन दबोच लिया। छात्रों की पिटाई के वीडियो वायरल हुए। पुलिस की पिटाई और छात्रों की गिरफ्तारी से आक्रोश बढ़ गया। गिरफ्तार स्टूडेंट्स से पूछताछ में कोचिंग संचालकों का नाम आने के बाद प्रशासन को मामले की गंभीरता का पता चल गया। इसके बाद पहले सख्ती दिखाई गई और खान सर सहित 6 कोचिंग संचालकों पर मुकदमा दर्ज कर दिया गया। हालांकि, इस पुलिस कार्रवाई में भी पुलिस ने बचाव का रास्ता अपनाया था और फिर इसी के सहारे सख्ती व नरमी के साथ काबू पा लिया।
प्रशासन ने कोचिंग संचालकों काे साथ लेकर बनाई रणनीति
पटना में प्रशासन की रणनीति बनी और यह तय किया गया कि कोचिंग संचालकों के माध्यम से ही आंदोलन की आग ठंडी की जाएगी। प्रशासन को यह पता हो गया था कि आंदोलन की आग कोचिंग से लगी है, इसलिए इसे कोचिंग संचालकों से ही शांत कराया जा सकता है। ऐसे में प्रशासन ने गुरुवार की शाम को पटना के कोचिंग संस्थानों के साथ बैठक बुला ली और घंटों मंथन कर आंदोलन का रास्ता रोकने के लिए रणनीति तैयार कर लिया। कोचिंग संचालकों को पूरी तरह से अपने पक्ष में कर लिया गया और पुलिस कार्रवाई में भी बड़ी राहत देने की बात कहीं। इसी बैठक में ही प्रशासन यह तय किया कि खान सर सहित अन्य सभी कोचिंग संचालकों को गिरफ्तार नहीं किया जाएगा। प्रशासन ने खान सर के साथ सभी कोचिंग संचालकों से स्टूडेंट्स को आंदोलन से रोकने के लिए वीडियो जारी करने को कहा था। प्रशासन की इसी रणनीति के बाद खान सर ने रात में स्टूडेट्स काे संबोधित वीडियो जारी किया जिससे सुबह होते ही आंदोलन की आग पूरी तरह से ठंडी पड़ गई।
राजनीतिक दखल और काम आई गार्जियन की एंट्री
स्टूडेंटस के आंदोलन को कैश कराने के लिए राजनीतिक पार्टियां आगे आ गईं। छात्रों के बहाने सरकार को घेरने का यह बड़ा मौका था और अधिकतर पार्टियां इस अवसर को पूरी तरह से भुनाना चाहती थी। विपक्षी पार्टियों ने पूरी रणनीति के साथ आंदोलन की आग को हवा दी लेकिन गुरुवार की शाम प्रशासन की बैठक और रात में खान सर की वीडियो अपील ही नहीं स्टूडेंट्स के गार्जियनों ने भी बड़ी भूमिका निभाई। राज्य में आंदोलन से खराब होते माहौल को शांत कराने के लिए लोगों ने गुरुवार को ही फोन कर अपने बच्चों को रोक दिया। गार्जियन को भी प्रशासन का रुख पता था क्योंकि कोचिंग संस्थानों पर केस से हर कोई डर गया। ऐसे में राज्य में जल रही आंदोलन की आग को 12 घंटे में बर्फ की तरह ठंडा कर दिया गया।