सीएम नीतीश कुमार के ड्रीम प्रोजेक्ट का हिस्सा रहा बख्तियारपुर-ताजपुर फोरलेन सड़क का निर्माण कार्य 10 साल में भी पूरा नहीं हुआ
समस्तीपुर। सीएम नीतीश कुमार के ड्रीम प्रोजेक्ट का हिस्सा रहा बख्तियारपुर-ताजपुर फोरलेन सड़क का निर्माण कार्य पिछले 10 सालों से लटका हुआ है। राज्य की यह पहली लोक भागीदारी से बनने वाली योजना थी। राजधानी से समस्तीपुर जिले को जोड़ने वाली इस योजना पर करीब 1600 करोड़ रुपये खर्च होना था। जिसमें से करीब 900 करोड़ रुपये खर्च भी हो गए हैं। लेकिन यह योजना आज भी महज 40 प्रतिशत ही पूरी हो सकी है। बता दें कि साल 2011 में पटना के बख्तियापुर-ताजपुर पथ की आधारशिला सीएम नीतीश कुमार ने ताजपुर में आयोजित एक भव्य समारोह में रखी थी। अथमलगोला से जिले के ताजपुर गांधी चौक तक फोर लेन सड़क का निर्माण होना है। इसके साथ गंगा नदी पर पुल का भी निर्माण किया जाना है। 55 किमी लंबी इस सड़क सह पुल का निर्माण कार्य 2016 में ही पूरा कर लिया जाना था। लेकिन स्थिति यह है कि अब तक महज 40 से 50 प्रतिशत ही कार्य पूरे हो चुके हैं। इस सड़क सह पुल निर्माण का कार्य हैदराबाद की नवयुगा कंपनी को दिया गया था। लेकिन बाद में उसने इस कार्य से अपना हाथ खींच लिया। उस समय इस सड़क सह पुल निर्माण पर 16 सौ करोड़ रुपये की लागत आने की बात कही गई थी। 900 रुपये खर्च करने के बाद इस कार्य में जुटी नवयुगा कंपनी के द्वारा हाथ खींच लेने के बाद सरकार अब नई एजेंसी को पुल निर्माण की जिम्मेदारी देने वाली है। इस बार करीब 1200 करोड़ रुपये से अधिक की अतिरिक्त राशि की जरूरत होगी।
272 पुल का जमीनी कार्य हो चुका है पूरा
बता दें कि ताजपुर-बख्तियारपुर पुल में 272 पिलर का जमीनी काम हो चुका है। लेकिन पुल निर्माण कार्य में लगी एजेंसी नव युवा जहान्वी टोल ब्रिज ने बीच में ही काम बंद कर दिया। इसी वजह से बिहार पुल निर्माण निगम और बिहार राज्य पथ विकास निगम ने अब इस एजेंसी को बर्खास्त कर दिया है। अब फिर से टेंडर जारी कर नई एजेंसी को काम सौंपने की तैयारी की जा रही है। लोगों को समय की होगी बचत
बताया जा रहा है कि इस पुल के बन जाने से नवादा, मुंगेर और नालंदा से आने वाली गाड़ियां अगर उत्तर बिहार आना चाहे तो उसे पटना जाने की जरूरत नहीं होगी। इससे काफी समय की बचत होगी। गंगा पर बन रहे पुल की कुल लंबाई 5.5 किलोमीटर है। चकसाहो के भूस्वामियों को अब तक नही मिली है राशि
बताया जाता है कि निर्माण एजेंसी ने पहले 47 गांवों की जमीन अधिग्रहण करने की बात कही थी। जब उनसभी गावों की जमीन सड़क सह पुल निर्माण के लिए कर लिया गया तो फिर बाद में पांच गांवों की सूची सौंपी गई। जिला प्रशासन ने तत्परता दिखाते हुए उन पांच गांवों की जमीन भी अधिग्रहण कर ली। इसमें चकसाहो को छोड़कर बाकी सभी गांवों के भूस्वामियों को जमीन का मुआवजा भी दे दिया गया है। लेकिन चकसाहो के भूस्वामियों को अब तक राशि नहीं मिली है। इसके लिए जिला प्रशासन के द्वारा सरकार से 25 करोड़ की राशि की डिमांड की गई है,जो तक नहीं दिया गया है। कहते हैं अधिकारी
इस प्रोजेक्ट को सीधे पटना से ही मानीटर किया जा रहा है। जिला स्तर पर जमीन अधिग्रहण करने का कार्य सौंपा गया था, जिसे पूरा कर लिया गया है। इसलिए इस मामले में पथ निर्माण विभाग ही कुछ बता सकती है।
ऋषव राज, जिला जनसंपर्क पदाधिकारी