फर्जी शैक्षणिक प्रमाण – पत्र क़े आधार पर नौकरी करने के मामले में एफआईआर दर्ज
मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी ने एफआईआर दर्ज करने के दिये आदेश
फर्जी बेब साईट गैंग से लिया जा रहा है शैक्षणिक प्रमाण पत्र
दिल्ली पुलिस भी एफआईआर दर्ज कर रही अनुसंधान
आँगनबाड़ी सेविका के फर्जी शैक्षणिक प्रमाण पत्र क़े आधार पर नौकरी करने के मामले में मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के आदेश पर कुर्लीकोट थाना में एफआईआर दर्ज कर किया गया है।
ठाकुरगंज प्रखंड अंतर्गत वार्ड नंबर 18 कौवाविटा गांव आंगनवाड़ी केंद्र संख्या 326 मे सेविका सलमा खातून के विरुद्ध बोर्ड ऑफ सेकंडरी एजुकेशन आंध्र प्रदेश फर्जी शैक्षणिक प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी करने के मामले में कुरलीकोट थाना में न्यायलय क़े आदेश का पालन करते हुए प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है जिसका थाना कांड संख्या 106 /2021 है। इस संबंध में आवेदिका साहेबा खातून ने 2/12/21 को मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के न्यायलय में साक्ष्य सहित आवेदन दिया। जिसपर उन्होंने सम्बंधित थाने को प्राथमिकी दर्ज कर जांच करने का आदेश दिया है। बोर्ड ऑफ सेकंडरी एजुकेशन आंध्र प्रदेश के फर्जी शैक्षणिक प्रमाण पत्र के संबंध में भी दिल्ली पुलिस ने भी प्राथमिकी दर्ज की है। जिसमें जांच के बाद दिल्ली पुलिस एक फर्जी वेबसाइट का लिस्ट भी जारी किया है जिसके अनुसार सलमा खातून के अंक पत्र में अंकित वेबसाइट को भी दिल्ली पुलिस फर्जी बताया है जिसकी जानकारी भी आवेदिका अपने आवेदन में न्यायलय में दी है। इसके अलावा आवेदिका द्वारा एक आरटीआई रिपोर्ट भी न्यायलय को दी गई आवेदन के साथ संलग्न किया है जिसके अनुसार आरोपी सलमा खातून के अंक पत्र में अंकित स्कूल पूरे हैदराबाद में है ही नहीं। आवेदिका अपने आवेदन में यह भी तथ्य अंकित करती है कि कैसे जांच के क्रम में आरोपी ने जिला प्रशासन किशनगंज को समय-समय पर शमशाबाद पोस्ट ऑफिस और बरहमपुर पोस्ट ऑफिस से सेविका की नौकरी के लिए फर्जी जांच रिपोर्ट भेजकर डीपीओ और डीएम किशनगंज को गुमराह किया ।इस संबंध मे अधिवक्ता रवि कांत का यह कहना है की इस तथ्य की भी जांच हेतु न्यायालय एवं पुलिस प्रशासन को आवेदन दी जायगी की किस परस्थिति मे सेविका को किस पदाधिकारी द्वारा चयन पत्र दिया गया था और सम्बंधित जो भी पदाधिकारी को अलग अलग अंतराल में क्या आवेदन दिया गया और फर्जी प्रमाण पत्र संबंधी उनका प्रतिवेदन क्या था, चुकी विभाग को भी ठोस साक्ष्य दे दिए जाने के बावजूद अब तक कोई कार्यवाही नहीं की गई इसीलिए थक हार कर आवेदिका न्यायालय क़े शरण मे आई जिसपर न्यायलय ने करवाई का आदेश दिया।