Monday, November 25, 2024
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दो दोस्तों ने पानीपत में शुरू की गुरुकुलम् पाठशाला, झुग्गियों में रहने वाले बच्चों के जीवन में भर रहे रोशनी ।

नई दिल्ली।, पानीपत। आपको दो दोस्तों से मिलाते हें। ये हैं एमबीए कर रहे माधव और बीटेक पास आयुष। लोग सुबह-सुबह सैर करने निकलते हैं, लेकिन ये दोनों झुग्गियों में बच्चों को उठाने पहुंचते हैं। इन्हें जगाकर अपने साथ पार्क में लेकर आते हैं। यहां पर इन्हें क, ख, ग से लेकर गणित तक पढ़ाते हैं। दो सप्ताह पहले सात बच्चों से इन्होंने गुरुकुलम् पाठशाला शुरू की। अब बच्चों की संख्या 35 पहुंच गई है। सकारात्मक पहल का असर ये हुआ कि छह शिक्षक भी इनके साथ जुड़ गए हैं।

माधव सेतिया को गुरुकुलम् की प्रेरणा दिल्ली से मिली। दरअसल, दिल्ली के रोहिणी में महाराजा अग्रसेन कालेज में बीबीए कर रहे थे। तब वहां आइएएस अधिकारी वैदिता रेड्डी कालेज पहुंची थीं। उन्होंने जरूरतमंद बच्चों को पढ़ाने के लिए पंखुड़ी प्रोजेक्ट शुरू किया था। कालेज के छात्रों की मदद से टीम बना रही थीं। माधव उनकी टीम से जुड़ गए। देखते ही देखते उन्होंने पूरा प्रोजेक्ट संभाल लिया।

 

माधव बीबीए करने के बाद पानीपत लौटे तो वही जुनून यहां भी बना रहा। इसके लिए एक साथी और चाहिए था। कई दोस्तों से बात की, पर सामने आए आयुष मित्तल। इन दोनों ने सेक्टर 12 के एकता पार्क में बच्चों को पढ़ाने की ठानी। सेक्टर के नजदीक ही झुग्गी में रहने वाले परिवारों से मिले। किसी तरह सात बच्चों को सुबह-सुबह पार्क में लेकर आए। वैसे तो ये बच्चे राजकीय स्कूल में पढ़ते हैं, लेकिन किसी को लिखना-पढ़ना नहीं आता। केवल रजिस्टर में नाम ही दर्ज हैं, स्कूल कम जाते हैं। गुरुकुलम पाठशाला से जब इन बच्चों में बदलाव आने लगा तो दूसरे परिवार भी अपने बच्चों को भेजने के लिए तैयार हो गए।

अब ग्रुप में पढ़ते हैं बच्चे

इन दोस्तों को देखकर छह शिक्षक इनके साथ जुड़ गए। तान्या नंदा, मुस्कान छाबड़ा, तनिष्का छाबड़ा, सीमा नागपाल, तरुण, विपुल यहां ग्रुप में बच्चों को पढ़ाते हैं। खेल-खेल में पढ़ाई होती है। बच्चों को पार्क में ही कापी-किताब मिलती है। एक घंटे की पढ़ाई के बाद ये कापी-किताब वहीं ट्रंक में सहेज ली जाती हैं।

जब रिटायर प्रिंसिपल ने कहा, मैं भी पढ़ाऊंगा

माधव जब सुबह-सुबह बच्चों को लेकर पार्क में जा रहे थे, तब केंद्रीय विद्यालय से रिटायर प्रिंसिपल ने उन्हें रोक लिया। बच्चों के बारे में पता चला तो भावुक हो गए। बोले, वह भी पार्क में आएंगे। इन बच्चों को पढ़ाएंगे। सुबह-सुबह लोग उन्हें बच्चों के साथ देखकर हैरान रह जाते हैं।

शानदार नाचती है खुशी, आगे बढ़ाएंगे

आयुष ने बताया कि एक बच्ची है खुशी। वह शानदार नृत्य करती है। उसे मार्गदर्शन की जरूरत है। उसकी मदद करेंगे। किसी डांस एकेडमी में दाखिला दिलाने का प्रयास होगा। गुरुकुलम में पढ़ने वाले बच्चों की उम्र छह से 14 वर्ष तक की है। सभी स्कूल में रजिस्टर्ड हैं, लेकिन आनलाइन पढ़ाई नहीं कर पाते। दो साल से इनकी पढ़ाई प्रभावित हो रही थी। अब समाजसेवी भी उनसे जुड़ रहे हैं। पार्क के नजदीक रहने वाले एक व्यक्ति ने इन बच्चों के लिए कापियां उपलब्ध कराई हैं।

Kunal Gupta
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