गंजेड़ियों पर भारी पड़े गणपति, दिलचस्प है पूर्णिया के गुलाबबाग के इस चौक की कहानी ।
पटना ।पूर्णिया। Ganesh chaturthi 2021: अगर आप दो दशक पूर्व के पूर्णिया शहर को जानते हैं तो यकीन मानिए अब आपको गुलाबबाग में गांजा चौक ढ़ूढ़ते नहीं मिलेगा। अधिकांश युवा वर्ग को भी यह पता नहीं है कि उत्तर बिहार के सबसे बड़ी गल्ला मंडी गुलाबबाग का हृदयस्थली गणपति चौक कभी गांजा चौक के नाम से जाना जाता था। गांजा तस्करों व गंजेड़ियों के जमावड़े के कारण कल का गांजा चौक अब गणपति चौक हो चुका है। गांजा तस्करों व गजेडिय़ों की दी हुई बदनामी पर दो दशक से आयोजित हो रहे महोत्सव के कारण गणपति की महिमा भारी पड़ चुकी है।
सन 1999 में गणपति महोत्सव का हुआ था श्रीगणेश
लक्ष्मी का आंगन कहे जाने वाले गुलाबबाग में सन 1999 में स्थानीय युवाओं ने गणपति महोत्सव का श्रीगणेश किया था। बुजुर्गों की राय से उस समय गुलाबबाग के लिए कलंक बन चुके गांजा चौक पर इसके आयोजन की शुरुआत करने का निर्णय लिया गया। इसका उद्देश्य बड़े धार्मिक आयोजन से उक्त स्थल के माहौल में बदलाव के साथ अपराधी प्रवृत्ति के लोगों के जमावड़े से मुक्ति भी था।
आयेाजन समिति के संरक्षक सह निवर्तमान जिला परिषद उपाध्यक्ष नीरज सिंह उर्फ छोटू सिंह, संरक्षक सह जदयू के वरिष्ठ नेता जितेंद्र यादव, वर्तमान अध्यक्ष पप्पू पासवान आदि के प्रयास से गणपति महोत्सव शहर का सबसे बड़ा आयोजन भी बन गया। इस बहाने यहां पूरे दस दिनों तक पुलिस बलों की तैनाती भी होने लगी। वरीय अधिकारी से लेकर जनप्रतिनिधि तक आना जाना यहां शुरु हो गया। इससे धीरे-धीरे यहां से अपराधी प्रवृति के लोगों की बैठकी खत्म होती चली गई। आज यह चौराहा न केवल गणपति के चौक के नाम से प्रसिद्ध हो चुका है बल्कि व्यवसायिक ²ष्टि से काफी महत्वपूर्ण हो चुका है।
संक्रमण काल में हुई थी गणपति महोत्सव की शुरुआत
गुलाबबाग के बुजुर्ग व्यवसायी बताते हैं कि नब्बे का दशक गुलाबबाग के लिए संक्रमण काल रहा था। पूर्णिया में चरम पर पहुंच चुके अपराध के कारण यहां से व्यवसायियों का पलायन शुरु हो गया था। इसी दौरान शिवसेना के तत्कालीन उप राज्य प्रमुख स्व. अजय सिंह सहित कुछ अन्य लोगों ने इस महोत्सव के आयोजन का ताना बाना बुना था। बाद में निवर्तमान जिला परिषद उपाध्यक्ष व अन्य युवाओं ने इसमें अहम भूमिका निभाई थी।
सन 1999 में इसकी शुरुआत होने के बाद चंद वर्षों में ही हालात में सुधार के चलते लोगों की निष्ठा इसके प्रति और बढ़ती गई। फिलहाल इस चौक पर यातायात के दबाब व उमडऩे वाली भीड़ को देखते हुए यह आयोजन बाजू में स्थित गुलाबबाग मेला ग्राउंड में किया जा रहा है। इस बार भी इसकी तैयारी जोर-शोर से चल रही है।
‘यह चौराहा उत्तर बिहार की सबसे बड़ी गल्ला मंडी गुलाबबाग का हृदयस्थली रहा है। दो दशक पूर्व तक गांजा की तस्करी व गजेडिय़ों के जमावड़े के लिए यह चौराहा बदनाम था। बाद में यहां युवाओं द्वारा गणेश महोत्सव की शुरुआत की गई। धीरे-धीरे कभी गांजा चौक के नाम से बदनाम यह चौराहा गणपति चौक के नाम से जाना जाने लगा। अब गांजा चौक कल की बात हो चुकी है। इस चौराहे का स्वरुप व परिवेश, दोनों पूरी तरह बदल चुका है।